Thursday 17 September 2015

बवासीर /पाईल्स/अर्श का इलाज ::
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पाइल्स (बवासीर, अर्श): वात, पित, कफ़ ये तीनो दोष त्वचा, मांस, मेदा को दूषित करके गुदा के अंदर और बाहरी स्थानों मैं मांस के अंकुर (मस्से/फफोले) तैयार करते हैं. इन्ही मांस के अंकुरों को बवासीर या अर्श कहते हैं ! ये मांस के अंकुर गुदामार्ग का अवरोध करते हैं और मलत्याग के समय शत्रु की भांति पीड़ा करते हैं ! इसलिए इनको अर्श भी कहा जाता है |
बाहरी लक्षणों के कारण भेद: बवासीर 2 प्रकार (kind of piles) की होती हैं। एक भीतरी(खूनी) बवासीर तथा दूसरी (बादी) बाहरी बवासीर। भीतरी / ख़ूनी बवासीर / आन्तरिक / रक्‍त स्रावी अर्श / रक्तार्श ख़ूनी बवासीर में मलाशय की आकुंचक पेशी के अन्दर अर्श होता है तो वह म्युकस मेम्ब्रेन (Mucous Membrane) से ढका रहता है। ख़ूनी बवासीर में किसी प्रक़ार की तकलीफ नहीं होती है केवल ख़ून आता है। पहले मल में लगके, फिर टपक के, फिर पिचकारी की तरह से सिर्फ़ ख़ून आने लगता है। इसके अन्दर मस्सा होता है। जो कि अन्दर की तरफ होता है फिर बाद में बाहर आने लगता है। मलत्याग के बाद अपने से अन्दर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आख़िरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाता है।
कब्ज- बवासीर रोग होने का मुख्य कारण पेट में कब्ज बनना है। दीर्घकालीन कब्ज बवासीर की जड़ है।
गरिष्ठ भोजन - अत्यधिक मिर्च, मसाला, तली हुई चटपटी चीज़ें, मांस, अंडा, रबड़ी, मिठाई, मलाई, अति गरिष्ठ तथा उत्तेजक भोजन करने के कारण भी बवासीर रोग हो सकता है।
अत्यधिक शराब, ताड़ी, भांग, गांजा, अफीम आदि के सेवन से बवासीर होता है। चाय एवं धूम्रपान - अधिकाधिक चाय, कॉफी आदि पीने तथा दिन रात धूम्रपान करने से अर्शोत्पत्ति होती है। पेशाब संस्थान - मूत्राशय की गड़बड़ी, पौरुष ग्रन्थि की वृद्धि, मूत्र पथरी आदि रोग में पेशाब करते समय ज़्यादा ज़ोर लगाने के कारण” भी यह रोग होता है।

क्या न करें : 

चाय, कॉफ़ी, ठंडा कोल्ड ड्रिंक,जूस और गर्म कोई भी बाहरी पेय पदार्थ न पीयें| बाहर का बना हुआ जंक फ़ूड या कोई भी वास्तु ना ! हमेशा घर का बना हुआ खाना ही खायें | इलाज़ के दौरान कोई भी खट्टी (इमली, टमाटर, आचार, नीम्बू, दहीं, छाछ, मौसमी, और इस तरह की कोई भी) चींजों का सेवेन बिळकुल ना करें ! किसी भी तरह के मांसाहारी भोजन (मांस, मछली, अंडा, समुद्री भोजन) का सेवन न करें ! ना ही मांसाहारी पेय जैसे सूप आदि का सेवन न करें | इलाज़ के दौरान खाने में मिर्ची का प्रयोग बिलकुल न करें ! मिर्च किसी भी रूप (लाल, हरी, पाउडर, खड़ी) में न करें ! उपचार के दौरान तला हुआ, मसालेदार, और तड़का लगा हुआ खाना किसी भी रूप में न खाएं |

क्या करें:

खूब पानी पीयें ! कम से कम 4 – 5 लीटर पानी पीयें ! पानी एक साथ न पीयें ! एक बार मैं 100 मिलीलीटर से जयादा न पीयें ! सुबह – शाम एक-२ गिलास गरम पानी का पीयें ! नारियल का पानी जितना पी सकते हैं उतना पीयें! उपचार के दौरान मूली का रस/जूस दिन में तीन बार पीयें ! एक बार में 50 – 100 मिलीलीटर पीयें ! (हर रोज़ पीना जरूरी है) इलाज़ के दौरान हल्का, सादा, बिना तेल का, ताजा, और उबला हुआ खाना ही खाएं ! खाना बनाते समय तेल/घी, और बाजारू पीसे हुए मसालों का प्रयोग न करें ! खाना घर में ही बना कर खायें! उपचार के दौरान सब्जियों मैं मूली, शलगम, चुकंदर, बैगन, पत्तेदार सब्जियां जैसे सरसों, मूली, चोलाई, बिथुआ, मैथी, पालक, बंदगोभी, गाजर, करेला, लौकी, तोरी, ककड़ी, भिन्डी आदि का सेवन करें ! सब्जियों को उबाल कर ही खायें और बिना तेल से ही तैयार करें! उपचार के दौरान हल्की, सादी और उबली हुयी दालों का सेवेन करें ! दालों में चना दाल, अरहर दाल, मसूर दाल, साबुत मूंग, मूंग दाल, आदि का सेवन ही करें ! दालें उबाल केर ही पकायें और तेल आदि का इस्तेमाल बिलकुल न करें ! इलाज़ के दौरान फलों में पपीता, तरबूज, अमरुद, अंजीर, नाशपाती, सेब, आडू, नारियल आदि का सेवेन करें ! फलों का जुके पीयें! अंकुरित मूंग और चना का सेवेन दिन में एक बार जरूर करें ! (50 – 100 ग्राम) अंकुरित मूंग और चन्ना की सब्जी या सूप पीयें. दाल, सब्जी या सूप बनाते समय थोडा सा कच्छा अदरक, काची हल्दी, चुटकी भर अज्वायेंन, जीरा, मैथी दाना, जर्रो डालें ! दाल, सब्जी और सूप उबला हुआ ही खायें! खाने मैं तड़का न दें ! उपचार के दौरान रात को सोने से पहले एक चमच त्रिफला पाउडर गरम पानी के साथ जरूर सेवेन करें ! खाने के सुझाव:
नाश्ता : नाश्ते में दूध में बना दलिया/पोहा/जौ या जई/रवा इडली (चावल और दाल वाली इडली नहीं)/कॉर्न फलैक्स/फल-सब्जी का सलाद/उपमा/अंकुरित मूंग और चना/अंकुरित चना और मूंग का सूप आदि !
खाना (दिन) : मूंग और चावल (अगर लाल चावल हैं तो अच्छा है) की खिछ्डी/सब्जियां और गेंहू/बाजरा/कोदरा/रागी/ज्वार आदि के आटे की रोटी !
खाना (रात): कोई भी उपर लिखी दाल/सब्जी चावल या गेंहू/बाजरा/कोदरा/रागी/ज्वार आदि के आटे की रोटी के साथ सेवन करें ! सब्जी में घर का बना हुआ मक्खन १/२ चमच डाल सकते हैं. बाजारू मक्खन/घी न डालें !

बवासीर की चिकित्सा ::

__ आयुर्वेद की औषधि “अर्श कुठार रस” की दो गोली सुबह और शाम मठे के साथ अथवा दही की पतली नमकीन लस्सी के साथ रोजाना १२० दिन तक ले |
__ ” अभयारिष्ट” और “रोहितिकारिष्ट” चार चम्म्च लेकर इसके बराबर चार चम्मच सादा पानी मिलाकर lunch और dinner के बाद दोनों समय सेवन करें |

घरेलु इलाज ::

__जीरे को जरूरत के अनुसार भून कर उसमे मिश्री मिलाकर मुंह में डालकर चूंसने से तथा बिना भुने जीरे को पीस कर मस्सों पर लगाने से बवासीर की बीमारी में फ़ायदा होता है
__ पके केले को बीच से चीरकर दो टुकडे कर लें और उसपर कत्था पीसकर छिडक दें,इसके बाद उस केले को खुले आसमान के नीचे शाम को रख दें,सुबह को उस केले को प्रात:काल की क्रिया करके खालें,एक हफ़्ते तक इस प्रयोग को करने के बाद भयंकर से भयंकर बवासीर समाप्त हो जाती है।
__छोटी पिप्पली को पीस कर चूर्ण बना ले,और शहद के साथ लेने से आराम मिलता है
__ एक चम्मच आंवले का चूर्ण सुबह शाम शहद के साथ लेने पर बवासीर में लाभ मिलता है,इससे पेट के अन्य रोग भी समाप्त होते है
__ खूनी बवासीर में नींबू को बीच से चीर कर उस पर चार ग्राम कत्था पीसकर बुरक दें,और उसे रात में छत पर रख दें,सुबह दोनो टुकडों को चूस लें,यह प्रयोग पांच दिन करें खूनी बवासीर की यह उत्तम दवा है
__ पचास ग्राम रीठे तवे पर रखकर कटोरी से ढक दें,और तवे के नीचे आग जला दें,एक घंटे में रीठे जल जायेंगे,ठंडा होने पर रीठों को खरल कर ले या सिल पर पीस लें,इसके बाद सफ़ेद कत्थे का चूर्ण बीस ग्राम और कुश्ता फ़ौलाद तीन ग्राम लेकर उसमें रीठे बीस ग्राम भस्म मिला दें,उसे सुबह शाम मक्खन के साथ खायें,ऊपर से दूध पी लें,दोनो प्रकार के बवासीर में दस से पन्द्रह दिन में आराम आ जाता है,गुड गोस्त शराब आम और अंगूर का परहेज करें।
__ खूनी बवासीर में गेंदे के हरे पत्ते नौ ग्राम काली मिर्च के पांच दाने और कूंजा मिश्री दस ग्राम लेकर साठ ग्राम पानी में पीस कर मिला लें,दिन में एक बार चार दिन तक इस पानी को पिएं,गरम चीजों को न खायें,खूनी बवासीर खत्म हो जायेगा।
__ पचास ग्राम बडी इलायची तवे पर रख कर जला लें,ठंडी होने पर पीस लें,रोज सुबह तीन ग्राम चूर्ण पंद्रह दिनो तक ताजे पानी से लें,बवासीर में लाभ होता है
__ हारसिंगार के फ़ूल तीन ग्राम काली मिर्च एक ग्राम और पीपल एक ग्राम सभी को पीसकर उसका चूर्ण जलेबी की पचास ग्राम चासनी में मिला लें,रात को सोते समय पांच छ: दिन तक इसे खायें,यह खूनी बवासीर का शर्तिया इलाज है,मगर ध्यान रखें कि कब्ज करने वाले भोजन को न करें
__ दूध का ताजा मक्खन और काले तिल दोनो एक एक ग्राम को मिलाकर खाने से बवासीर में फ़ायदा होता है
__ नागकेशर मिश्री और ताजा मक्खन इन तीनो को रोजाना सम भाग खाने से बवासीर में फ़ायदा होता है
__ जंगली गोभी की तरकारी घी में पकाकर उसमें सेंधा नमक डालें,इस तरकारी को आठ दिन रोटी के साथ खाने से बवासीर में आराम मिलता है
__ कमल केशर तीन मासे,नागकेशन तीन मासे शहद तीन मासे चीनी तीन मासे और मक्खन तीन मासे (तीन ग्राम) इन सबको मिलाकर खाने से बवासीर में फ़ायदा होता है
__ नीम के ग्यारह बीज और छ: ग्राम शक्कर रोजाना सुबह को फ़ांकने से बवासीर में आराम मिलता है
__ पीपल का चूर्ण छाछ में डालकर पीने से बवासीर में आराम मिलता है
__ कमल का हरा पत्ता पीसकर उसमे मिश्री मिलाकर खायें,बवासीर का खून आना बन्द हो जाता है
__ सुबह शाम को बकरी का दूध पीने से बवासीर से खून आना बन्द हो जाता है
__प्रतिदिन दही और छाछ का प्रयोग बवासीर का नाशक है
__ प्याज के छोटे छोटे टुकडे करने के बाद सुखालें,सूखे टुकडे दस ग्राम घी में तलें,बाद में एक ग्राम तिल और बीस ग्राम मिश्री मिलाकर रोजाना खाने से बवासीर का नाश होता है
__ गुड के साथ हरड खाने से बवासीर में फ़ायदा होता है
__ बवासीर में छाछ अम्रुत के समान है,लेकिन बिना सेंधा नमक मिलाये इसे नही खाना चाहिये
__ मूली का नियमित सेवन बवासीर को ठीक कर देता है

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