सहजन खाये स्वस्थ रहे ::
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स्वास्थ्य के हिसाब से इसकी फली, हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।
इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसका बॉटेनिकल नाम 'मोरिगा ओलिफेरा' है। हिंदी में इसे सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा नाम से भी जानते हैं। इसकी कच्ची-हरी फलियां सबसे ज्यादा उपयोग में लाई जाती हैं।
सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बनाकर खाई जाती है। फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है। आमतौर पर इसका सेवन ग्रामीण इलाकों में अधिक देखने को मिलता है। जो लोग इसके बारे में जानते हैं, वे इसका सेवन जरूर करते हैं। सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर, वातघ्न, रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है। सहजन में दूध की तुलना में चार गुना कैल्शियम और दोगुना प्रोटीन पाया जाता है।
सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, साइटिका, गठिया आदि में उपयोगी है। इसकी छाल का सेवन साइटिका, गठिया, लीवर में लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं। इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, साइटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है। मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है।
१) सहजन के फूल उदर रोगों व कफ रोगों में इसकी फली वात व उदरशूल में पत्ती नेत्ररोग, मोच ,शियाटिका ,गठिया आदि में उपयोगी है।
सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, साइटिका, गठिया आदि में उपयोगी है। इसकी छाल का सेवन साइटिका, गठिया, लीवर में लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं। इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, साइटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है। मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है।
१) सहजन के फूल उदर रोगों व कफ रोगों में इसकी फली वात व उदरशूल में पत्ती नेत्ररोग, मोच ,शियाटिका ,गठिया आदि में उपयोगी है।
२) सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग साईटिका ,गठिया,,यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है।
३) . सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है
४) . सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वातए व कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है\ साईं टिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है .
५) सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है।
६) सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है।
७) सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया और जोड़ों के दर्द व् वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है।
८) सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
९) .सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
१०) . सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
११) . सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।
१२) सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
१३) सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
१४) . सहजन. की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
१५) . सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है।
१६) सहजन. की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
१७) . सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है।
१८) सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है .
१९) सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
२०) . सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तोए आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। ईस से जकड़न कम होगी।
२१) . सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
२२) .सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
२३) सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
२४) सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
२५) . सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है। त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है। सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे विषैले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं।
२६) . सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और टोन को साफ रखने में मदद करता है।मृत त्वचा के पुनर्जीवन के लिए इससे बेहतर कोई रसायन नहीं है। धूम्रपान के धुएँ और भारी धातुओं के विषैले प्रभावों को दूर करने में सहजन के बीजों के सत्व का प्रयोग सफल साबित हुआ है।
२७ ) छाल का पावडर, शहद और पानी से ऐसा मिश्रण तैयार होता है जो शीघ्रपतन की समस्या का अचूक इलाज है।
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