Tuesday, 17 November 2015


कटहल खाए स्वाथ्य रहे ::~~~~~~~~~~~~~~~~~

कटहल की सब्‍जी, पकौडे़ या अचार कई लोगों का फेवरेट होता है। जब यह पक जाता है तब इसके अंदर के मीठे फल को खाया जाता है जो कि बडा़ ही स्‍वादिष्‍ट लगता है। कटहल के अंदर कई पौष्टिक तत्‍व पाये जाते हैं जैसे, विटामिन ए, सी, थाइमिन, पोटैशियम, कैल्‍शियम, राइबोफ्लेविन, आयरन, नियासिन और जिंक आदि।

1: इसमें मौजूद पोटेशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है।
2: कटहल में मौजूद डाइटरी फाइबर पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
3: नियमित रूप से कटहल का सेवन करने से त्वचा के मॉइश्चर का स्तर ऊंचा रहता है और एजिंग की प्रक्रिया धीमी होती है।
4: इसके बीज बालों का झड़ना बंद कर देते हैं और लीवर को स्वस्थ बनाए रखते हैं, यह सिर में ब्लड सकरुलेशन बढ़ाता है और इससे बाल उगते हैं|
5 : कच्चे कटहल के बीज को आप रोस्ट कर के भी खा सकते हैं. आप कटहल के बीज का पाउडर बना कर सेवन करें. इससे बाल भी अच्छे रहते हैं और त्वचा का तो कहना ही क्या|
6 : कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ने में भी कटहल के बीज बड़े ही लाभकारी होते हैं.|
7 : पके हुए कटहल के गूदे को अच्छी तरह से मैश करके पानी में उबाला जाए और इस मिश्रण को ठंडा कर एक गिलास पीने से जबरदस्त स्फ़ूर्ती आती है, यह हार्ट के रोगियों के लिये भी अच्‍छा माना जाता है।
8 : कटहल में पोटैशियम पाया जाता है जो कि हार्ट की समस्‍या को दूर करता है क्‍योंकि यह ब्‍लड प्रेशर को लो कर देता है।
9 : इस रेशेदार फल में काफी आयरन पाया जाता है जो‍ कि एनीमिया को दूर करता है और शरीर में ब्‍लड सर्कुलेशन को बढाता है।
10 :. इसी जड़ अस्‍थमा के रोगियो के लिये अच्‍छी मानी जाती है। यद‍ि आप इसकी जड़ को पानी के साथ उबाल कर बचा हुआ पानी छान कर पिये तो अस्‍थमा कंट्रोल हो जाएगा।
11 :. यह शरीर का थायराइड भी संभालता है। इसमें मौजूद सूक्ष्म खनिज और कॉपर थायराइड चयापचय के लिये प्रभावशाली होता है। खासतौर पर यह हार्मोन के उत्‍पादन और अवशोषण के लिये अच्‍छा माना जाता है।
12: . हड्डियों के लिये भी यह फल बहुत अच्‍छा होता है। इसमें मौजूद मैग्‍नीशियम हड्डी में मजबूती लाता है तथा भविष्‍य में ऑस्‍टियोपुरोसिस की समस्‍या से निजात दिलाता है। 13: इसमें विटामिन सी और ए पाया जाता है जो कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है और बैक्‍टीरियल और वाइरल इंफेक्‍शन से बचाता है।
14: साधारण शर्करा जैसे, फ्रक्‍टोज़ और सूकरोज़ तुरंत ऊर्जा देते हैं। इस शर्करा में बिल्‍कुल भी जमी हुई चर्बी और कोलेस्‍ट्रॉल नहीं होता।
15:. यह फल अल्‍सर और पाचन सम्‍बंधी समस्‍या को दूर करते हैं। इसमें फाइबर होता है जो कि कब्‍ज की समस्‍या को दूर करते हैं।
16 : इसका स्‍वास्‍थ्‍य लाभ आंखों तथा त्‍वचा पर भी देखने को मिलता है। इस फल में विटामिन ए पाया जाता है जिससे आंखों की रौशनी बढती है और स्‍किन अच्‍छी होती है। यह रतौंधी को भी ठीक करता है।

Thursday, 12 November 2015

शीघ्रपतन की समस्‍या के घरेलू उपाय ::
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वर्तमान में जिस तरह की जीवनशैली लोग अपना रहे हैं उसकी वजह से इंसान कई तरह की बीमारियों से घिरता जा रहा है। आजकल के युवाओं में सबसे बड़ी समस्या है शीघ्रपतन और योन संबंधों के प्रति अरूचि का होना साथ ही ये समस्या महिलाओं में भी देखी जा रही है। इसकी मुख्य वजह है मानसिक तनाव, चिंता आदि जिसका असर है पुरूषों का जल्दी से संखलित होना है।
शीघ्रपतन का घरेलू नुस्खों द्वारा इलाज 
मुनक्के
यह शरीर में खून और वीर्य को बढ़ाता है। इसके लिए 60 ग्राम मुनक्के भिगों दें और 12 घंटे के बाद इनको चबा कर खाएं। भीगे हुए मुनक्के वीर्य की बढ़ाते हैं और पेट संबंधी कई तरह की बीमारियों को भी दूर करते हैं। धीरे-धीरे आप अपनी डायट में मुन्क्कों की मात्रा 200 ग्राम तक भी ले जा सकते हो।

जामुन का प्रयोग
जामुन वीर्य को बढ़ाने का काम करता है और उसे गाढ़ा करता है। अक्सर देखा गया है कि जिन पुरूषों का वीर्य पतला होता है वे थोड़ी सी उत्तेजना में उनका वीर्य संखलित हो जाता है। वे डेली शाम को 5 ग्राम जामुन की गुठली का चूर्ण गरम दूध के साथ ले सकते हैं। जामुन की गुठली का चूर्ण आप अपने घर में खुद भी बना सकते हो।
इसबगोल
पांच ग्राम मिश्री, पांच ग्राम इसबगोल और पांच ग्राम शर्बत खशखश को मिला लें और इसे पानी के साथ घोल कर पीएं। यह शीध्रपतन की समस्या को दूर करता है। जिससे वीर्य जल्दी से संखलित नहीं होता है।
दालचीनी
दालचीनी भी आपको किसी भी दुकान पर आसानी से मिल सकती है। दालचीनी को पीसकर बारीक पाउडर बना लें और रात को सोने से पहले 4-4 ग्राम दूध के साथ लें। यह दूध को पचाने के साथ वीर्य की मात्रा को भी बढ़ाता है।
बादाम
जिन पुरूषों का वीर्य संभोग के शुरूआती दौर में निकल जाता है उनके लिए बादाम बेहद जरूरी है। 6 काली मिर्च, 2 ग्राम सोंठ, मिश्री और 6 बादाम की गिरी को मिलाकर खायें और बाद में गरम दूध पीएं।बेर और नाशपाती पुरूषों को हमेशा बेर व नाशपाती का सेवन करना चाहिए। बेर व नाशपाती शुक्रवर्धक प्राकृतिक फल हैं।
कतीरा
कतीरा को कूट कर उसका पाउडर बना लें और रात को एक गिलास पानी में आधा चम्मच कतीरा का पाउडर मिला लें। सुबह इस पानी में थोड़ी सी चीनी डालकर इसका सेवन करें। एैसा करने से शीघ्रपतन की समस्या दूर होती है।
छुहारा
छुहारा खाने से शीघ्रपतन और पतले वीर्य की समस्या दूर होती है। इसलिए पांच ग्राम छुहारे नित्य खाने चाहिए।
चने खाने के फायदे
भीगे हुए चने या सिके हुए चने खाने के बाद में दूध पीने से वीर्य गाढ़ा होता है। भीगी चने की दाल में शक्कर मिलाकर रात को सोने से पहले खाएं। इससे आपको फायदा होगा।
तुलसी
तुलसी के बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें और 3 ग्राम तुलसी के चूर्ण को गुड के साथ दूध में मिलाकर सेवन करें। एैसा करने से पतला वीर्य गाढ़ा बनता है।
तुलसी के बीज को पान में रखकर खाने से शीघ्रपतन की समस्या जल्दी दूर होती है।
इन प्राकृतिक घरेलू नुस्खों के जरिए आप शीघ्रपतन की समस्या से बच सकते हो लेकिन इसके अलावा आपको अपनी जीवनशैली में भी परिवर्तन लाना होगा। कम से कम 8 घंटे सोना, समय पर नाशता करना, योग करना और टहलना आदि बेहद जरूरी है।

Sunday, 8 November 2015

स्वदेशी , विदेशी वस्तुओ की सूची
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दन्त मंजन / पेस्ट 
स्वदेशी — विको वज्रदंती, बैद्यनाथ, चोइस, नीम, डाबर , एंकर, मिस्वाक, बबूल, प्रोमिस, दन्त कांति दन्त मंजन।
विदेशी — अधिकतर दन्त पेस्ट हड्डियों के पावडर से बनते है, जेसे कोलगेट, हिंदुस्तान यूनिलीवर ( पहले हिन्स्तान लीवर ), क्लोस-अप, पेप्सोडेंट, एम, सिबाका, एक्वा फ्रेश, एमवे, ओरल बी, क्वांटम आदि ।
टुथ ब्रश ( दन्त साफ करने का उपकरण ) ==
स्वदेशी — प्रोमिस, अजय, अजंता, मोनेट, रोयल, क्लास्सिक, डोक्टर स्ट्रोक ।
विदेशी — कोलगेट, क्लोस-अप, पेप्सोडेंट, सिबाका, अक्वा फ्रेश, ओरल-बी, हिंदुस्तान यूनिलीवर ।
बाथ सोप (स्नान करने का साबुन) ==
स्वदेशी — निरमा , मेदिमिक्स, निम्, नीमा, जस्मीन, मेसोर सेंडल, कुटीर, सहारा, पार्क अवेन्यु, सिंथोल, हिमानी ग्लिसरीन, फिर फ्लो, न १, शिकाकाई, गंगा, विप्रो, संतूर, काया कांति, काया कांति एलो वेरा ।
विदेशी — हिंदुस्तान यूनिलीवर, लो’ ओरीअल , लाइफ ब्वाय ( कोई डर नहीं ) , ले सेंसि, डेनिम, चेमी, डव, रेविओं, पिअर्स, लक्स, विवेल, हमाम, ओके, पोंड्स, क्लिअर्सिल, पमोलिवे, एमवे, जोनसन बेबी, रेक्सोना, ब्रिज , डेटोल ।
शेम्पू, ( बाल धोने के लिए ) ==
स्वदेशी — विप्रो, पार्क अवेन्यु, स्वस्तिक, आयुर, केश निखर, हेअर एंड केअर, नैसिल, अर्निका, वेलवेट, डाबर, बजाज, नेल, लेवेंडर, गोदरेज, वाटिका ।
विदेशी –हेलो कोलगेट पामोलिव, हिंदुस्तान यूनिलीवर, लक्स, क्लिनिक प्लस, रेव्लों, लक्मे, पी एंड जी , हेड एंड शोल्डर, पेंटीन, डव, पोंड्स, ओल्ड स्पेस, शोवर तो शोवर, जोहानसन बेबी ।
कपडे / बर्तन धोने का पावडर ==
स्वदेशी — टाटा शुद्ध, नीमा, सहारा, लो’ ओरीअल , निरमा, स्वस्तिक, विमल, हिपोलिन, देना, ससा, टी सीरिज, डोक्टर देत, घडी डिटर्जन, गेंतिल, उजाला, रानिपल, निरमा, चमको, दीप
विदेशी — हिंदुस्तान यूनिलीवर, सर्फ़, रीन, सनलाईट, व्हील, विम, अरिअल, टाइड, हेंको, रेविअल, एमवे, क्वांटम, वुल्वाश, इजी, रोबिन ब्लू, टिनापोल, स्काईलार्क
दाढ़ी / शेविंग बनाने की क्रीम ==
स्वदेशी — पार्क अवेन्यु, प्रिमीअम, वि जोन, लो’ ओरीअल , इमामी, बलसारा, गोदरेज
विदेशी — ओल्ड स्पाइस, पामोलिव, पोंड्स, जिलेट, एरास्मिक, डेनिम, यार्डली
दाढ़ी / शेविंग पत्ती / ब्लेड ==
स्वदेशी — टोपाज, गेलंत ( gallant), सुपरमेक्स, लसर, एस्क्वेर, सिल्वर प्रिंस, प्रिमिअम
विदेशी — जिलेट, सेवन ‘ओ’ क्लोक, एरास्मिक, विल्मेन, विल्तेज आदि
क्रीम / पावडर ==
स्वदेशी — बोरोसिल, आयुर, इमामी, विको, बोरोप्लस, बोरोलीन, हिमामी, नेल, लावेंदर, हेअर एंड केअर, निविय, हेवन्स, सिंथोल, ग्लोरी, वेलवेट (बेबी)
विदेशी — हिंदुस्तान यूनिलीवर, फेअर एंड लवली, लक्मे, लिरिल, डेनिम, रेव्लों, पी एंड जी, ओले, क्लिएअर्सिल, क्लिएअर्तोन, चारमी, पोंड्स, ओल्ड स्पाइस, डेटोल ( ले १००% श्योर) , जॉन्सन अँड जॉन्सन
वस्त्र रेडीमेड ==
स्वदेशी — केम्ब्रिज, पार्क अवेन्यु, ओक्जेम्बर्ग ( ओक्सेम्बेर्ग) बॉम्बे डाइंग, रफ एंड टफ, ट्रिगर, किलर जींस, पिटर इंग्लेंड, डीजे अँड सी ( DJ&C ) ये हमारी ही मानसिकता है की हमारी कंपनिया हमें लुभाने के लिए अपने उत्पादों का विदेशी नाम रखती है ।
विदेशी — व्रेंग्लर, नाइकी, ड्यूक, आदिदास, न्यूपोर्ट, पुमा आदि
धड़ियाँ ==
स्वदेशी — एच एम टी, टाइटन, मेक्सिमा, प्रेस्टीज, अजंता आदि
विदेशी — राडो, तेग हिवर, स्विसको, सेको, सिटिजन, केसिओ
पेन पेन्सिल ==
स्वदेशी — शार्प, सेलो, विल्सन, टुडे, अम्बेसेडर, लिंक, मोंतेक्स, स्टिक, संगीता, लक्जर, अप्सरा, कमल, नटराज, किन्ग्सन, रेनोल्ड, अप्सरा,
विदेशी — पारकर, निच्कोल्सन, रोतोमेक, स्विसएअर , एड जेल, राइडर, मिस्तुबिशी, फ्लेअर, यूनीबॉल, पाईलोट, रोल्डगोल्ड
पेय ==
स्वदेशी — दुग्ध, लस्सी, ताजे फलों के रस, निम्बू पानी,नारियल का पानी, मिल्कशेक, ठंडाई, जलजीरा, रूह अफजा, रसना, फ्रूटी, एपी फ़िज़, ग्रेपो, जम्पिं, शरबत , डावर्स , एलएमएन, जलानी जलजीरा आदि
विदेशी — ( एक घंटे में चार कोल्ड ड्रिंक पिने से मृत्यु निश्चित है ) धीमा जहर कोका कोला, पेप्सी, फेंटा स्प्राईट, थम्स-अप, गोल्ड स्पोट, लिम्का, लहर, सेवन अप, मिरिंडा, स्लाइस, मेंगोला, निम्बुज़ आदि
चाय काफी ==
स्वदेशी — टाटा, ब्रह्मपुत्र, असम, गिरनार, वाघ बकरी, दिव्य पेय
विदेशी — लिप्टन, टाइगर, ग्रीन लेबल, येलो लेबल, चिअर्स, ब्रुक बोंड रेड लेबल, ताज महल, गोद्फ्रे फिलिप्स, पोलसन, गूद्रिक, सनराइस, नेस्ले, नेस्केफे, रिच , ब्रू आदि
शिशु आहार एवं दूध पावडर ===
स्वदेशी — शहद, डाल पानी, उबले चावल, तजा फलों का रस, अमूल, इंडाना, सागर, तपन, मिल्क केअर
विदेशी — नेस्ले, लेक्टोजन सेरेलेक, एल पी ऍफ़, मिल्क मेड, नेस्प्रे, ग्लेक्सो, फेरेक्स
कुल्फी / आइसक्रीम ==
स्वदेशी — घर की बनी कुल्फी, अमूल, वाडीलाल, दिनेश, हवमोर, गोकुल, दिनशा, जय , पेस्तोंजी
विदेशी — वाल्स, क्वालिटी, डोलोप्स, बास्किन एंड रोबिनस, केडबरी.. अधिकतर आइसक्रीम में जनवरी की आंतो की परत होती है
नमक ==
स्वदेशी — टाटा, अंकुर , सूर्य, ताजा, तारा, निरमा, सेंधव नमक.
विदेशी — अन्नपुर्णा , आशीर्वाद आटा, केप्टन कुक, हिंदुस्तान लीवर , किसान, पिल्सबरी आदि
नमकीन / स्नेक्स / चिप्स ==
स्वदेशी — बीकाजी, बिकानो, हल्दीराम, बालाजी, हिपो , पार्ले, A1, गार्डन आदि
विदेशी — अंकल चिप्स, पेप्सी, रफेल्स, होस्टेस, फन्मच, कुरकुरे, लेज आदि
टमाटर सौस, चटनिया, फ्रूट जेम ==
स्वदेशी — घर के बने हुए चटनिया, इंडाना, प्रिया, रसना, फ्रूट जाम, टिल्लूराम , मनोज, सिल, निलंस, रसना, कर्नल, पंतजलि
विदेशी — नेस्ले, ब्रुक बोंड, किसान, हेंज, फिल्ड फ्रेश, मेगी सौस
चोकलेट / दूध पावडर ==
स्वदेशी — गुड के साथ मूंगफली या बादाम लाभप्रद है, पार्ले, बेक्मंस, क्रिमिचा, शंगरीला, इंडाना, अमूल, रावलगाँव, ब्रिटानिया.
विदेशी — अधिकतर चोकलेट में अर्सेलिक जहर मिला होता है केडबरी, बोर्नविटा , होर्लिक्स, न्यूट्रिन, विक्स, मिल्किबर, इक्लेअर्स , मंच, पार्क, डेरिमिल्क, बोर्नविले, बिग बबल, एलपेनलिबें, सेंटरफ्रेश, फ्रूट फ्रेश, परफीती आदि
रेडीमेड खाना ==
स्वदेशी — घर का खाना, हाथो से बनाया हुआ या किसी पास के स्वच्छ शाकाहारी होटल का
विदेशी — मेगी, हेंज, नौर , डोमिनोज, पिज्जा हट , फ्रिन्तो-ले
पानी ==
स्वदेशी — घर का उबला हुआ पानी, बिसलेरी, हिमालय, रेल नीर, यस, गंगा आदि
विदेशी — एक्वाफिना, किनली, बिल्ले, पुरे लाइफ, एवियन, सेन पिल्ग्रिमो, पेरिअर आदि
शक्तिवर्धक ===
स्वदेशी — च्यवनप्राश सबसे उत्तम ८०% तक , न्युत्रमुल, मल्तोवा, अमृत रसायन, बादाम पाक. आदि
विदेशी — बूस्ट, पोलसन, बोर्नविटा, होर्लिक्स, प्रोतिनेक्स, स्प्राउट्स, कोमप्लैन
इलेक्ट्रोनिक्स वस्तु ==
स्वदेशी — ओनिडा, बी पी एल, विडियोकोन, अकाई ( आज कल नाम सुनने को नहीं मिलता ) , टी- सीरिज , सलोरा, वेस्टर्न, क्रोवन, टेक्सला, गोदरेज उषा, ओरीअंट, खेतान, पी एस पी औ, बजाज, सिन्नी, शंकर, टी-सीरिज, क्राम्पटन,
विदेशी —- सोनी, फिलिप्स, हुंदा , सेन्सुई, शार्प, एलजी, देवू , सेन्यो, नेशनल पेनासोनिक केनवुड, थोमसन, सेमसंग, हिताची, तोशिबा, कोनिका, पयोनिअर, केल्विनेटर, वर्ल्फुल, इलेक्ट्रोलक्स आई ऍफ़ बी, हायर सिंगर, महाराजा, जी इ, रेलिमिक्स, केनस्टार, मृत, ब्रोउन, नेशनल, फिलिप्स
मोबाइल फ़ोन / सेवाए ===
स्वदेशी — मेक्स, ओनिडा, माइक्रोमेक्स, उषा-लक्सस, अजंता, ओर्पट, आइडिया, एअरटेल, रिलाइंस, टाटा इंडिकोम, एमटीएनएल, लूप, कार्बन, लावा, लेमन, भारती बीटल
विदेशी — नोकिया, फ्लाई, मोटोरोला, एचटीसी, सोनी एरिक्सन, एसर, वर्जिन, वोडाफोन, एम टी एस , एल जी, सेमसंग, हायर, डॉकोमो आदि
खाद्य तेल सरसों का तेल ====
स्वदेशी —-, कच्ची घानी का तेल,
विदेशी —- डालडा ब्रांड, आई टी सी ब्रांड, हिंदुस्तान यूनिलीवर ब्रांड, फिल्ड फ्रेश ब्रांड के सभी वस्तुओ का बहिष्कार करे
कंप्यूटर ===
स्वदेशी — एच सी एल, विप्रो
विदेशी —- तोशिबा, एसर, एच पी, डेल, लिनोवो, सेमसंग, सोनी, आई. बी. एम. कोम्पेक आदि
दुपहिया वाहन ====
स्वदेशी —- हीरो, बजाज ( बजाज स्कूटर के बारे में सबको पता है, एक्टिवा से कड़ी टक्कर मिलने के कारण बजाज स्कूटर की जगह एक्टिवा दीखता है हमारी सडको पर,) टी वि एस, महिंद्रा, काइनेटिक
विदेशी — कावासाकी, होंडा, हुंडई, एक्टिवा, इटरनो, रोयल एनफील्ड, हर्ली डेविडसन, स्प्लेंडर , पेशन
वाहन ===
स्वदेशी — लेंड रोवर, जगुआर, इंडिका, नेनो, टाटा मेजिक, बोलेरो, सुमो, सफारी, प्रेमिअर, अम्बसेदर, अशोक लेलेंड, स्वराज, महिंद्रा ट्रेक्टर, जाइलो, रेवा, अतुल, टी.व्ही.एस
विदेशी — हुंडई, सेंट्रो, वोल्सवेगन, मर्सडीज, टोयोटा, निसान, स्कोडा, रोल्स रोयस, फेंटम, फोर्ड, जनरल, शेर्वोलेट, जोन डिअर, मारुति सुजुकी, लोगन
बैंक ===
स्वदेशी — इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ़ बड़ोदा, बैंक ऑफ़ इंडिया, बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र, आई डी बी आई, केनरा बैंक, सेन्ट्रल बैंक, देना बैंक, कोर्पोरेशन बैंक, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसिस बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, सिंडिकेट बैंक, युको बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया, युनाइटेड बैंक ऑफ़ इंडिया, विजया बैंक, आंध्र बैंक, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, कोटक महिंद्रा, एक्सिस बैंक, यस बैंक, इडुसलेंड बैंक, धनलक्ष्मी, बैंक, सारस्वत बैंक, फेडरल बैंक, आई एन जी वैश्य बैंक, करुर वैश्य बैंक, कर्नाटका बैंक , लक्ष्मी विलाश बैंक, स्टेट बैंक ऑफ़ बीकानेर एंड जयपुर, साउथ इंडियन बैंक, नैनीताल बैंक आदि
विदेशी —- बैंक एचडीएफसी (HDFC), आई.सी.आई.सी.आई ( ICICI ), एबीएन एमरो, अबू धाबी बैंक, बीएनपी परिबास, सिटी बैंक, डच बैंक (Deutsche Bank), एच इस बी सी (HSBC), जे पि मोर्गन, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, तयब बैंक, स्कोटिया बैंक, अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक, एंटवर्प बैंक, अरब बंगलादेश, बैंक ऑफ़ अमेरिका, बहरीन कुवैत, टोक्यो मित्सुबिशी बैंक, बार्कले बैंक, चाइना ट्रस्ट, क्रुंग थाई बैंक, सोनाली बैंक, शिन्हन बैंक, ओमान इंटरनेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ़ मौरिशश, डी बैंक ऑफ़ न्युयोर्क, ऑस्ट्रेलियन बैंक, फोर्टिस बैंक, कोमन वेल्थ बैंक, रोयल बैंक ऑफ़ कनाडा, अमीरात बैंक, जर्मन बैंक,
जूते / चप्पल ===
स्वदेशी — लिबर्टी, लखानी, स्काई, भारत लेदर, एक्शन, रिलेक्सो, पेरगोन, पोद्दार, वाइकिंग, बिल्ली, कार्नोबा, डीजे अँड सी ( DJ&C ), बफेलो, रिग
विदेशी — पुमा, बाटा, पॉवर, बीएमसी, एडीडास, नाइकी, रिबोक, फीनिक्स, वुडलेंड, लाबेल, चेरी ब्लोसम, कीवी, ली कूपर, रेड चीफ, कोलंबस
ऐसी विदेशी कंपनियाँ भी है जिसमे आधे से भी कम % भारतीय पैसा लगा हुआ है तो वे भी विदेशी हुई, इसी तरह भारतीय कंपनी मे विदेशी ५०% से ज्यादा पैसा लगा है तो वह विदेशी है,
आप यह पता भी लगाए की आप जिस कंपनी का माल खरीद रहे है है क्या वह पूर्णतया स्वदेशी है ?

गृध्रसी (सायटिका) :
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हरसिंगार के ढाई सौ ग्राम पत्ते साफ करके एक लीटर पानी में उबालें। जब पानी लगभग 700 मिली बचे तब उतारकर ठण्डा करके छान लें, पत्ते फेंक दें और 1-2 रत्ती केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें। इस पानी को दो बड़ी बोतलों में भरकर रोज सुबह-शाम एक कप मात्रा में इसे पिएँ।
ऐसी चार बोतलें पीने तक सायटिका रोग जड़ से चला जाता है। किसी-किसी को जल्दी फायदा होता है फिर भी पूरी तरह चार बोतल पी लेना अच्छा होता है। इस प्रयोग में एक बात का खयाल रखें कि वसन्त ऋतु में ये पत्ते गुणहीन रहते हैं अतः यह प्रयोग वसन्त ऋतु में लाभ नहीं करता।

चेस्ट बनाने के तरीके / उपाय ::
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मुख्य उपायों में से एक उपाय हैं वजन बढ़ाना. जब आपका वजन बढ़ता हैं तो धीरे धीरे आपके स्तनों का आकर भी बढ़ता हैं . वजन बढ़ने के लिए आप मूंगफली, चीज़, मक्खन, दही, नाशपाती और दुसरे स्वास्थ्यकर भोज्य पदार्थ खा सकते हैं.
अपने अग्र भाग को ज़मीन से सटाकर और हाथों को ज़मीन पर समतल रखकर पैरो को फर्श पर सीधा रखे और हथेली की सहायता से स्वयं को ऊपर उठाइए और धीरे धीरे निचे लाइए. यह प्रकिया कम से कम १३ से १५ बार दोहराए और आप अपने हाथों और छाती को मज़बूत और स्वस्थ महसूस करेंगे. कुँए से पानी खींचना भी छाती की मांसपेशियों के खिंचाव में मदद कर सकता है, जिससे आपके स्तन तेज़ी से बढ़ेंगे.
. कुर्सी के बीचो बिच बैठ जाइये और अपनों भुजाओ से समान वजन उठाइए. अपने हाथो वजन सहित सीधा कंधे के स्तर तक उठाइए और धीरे से निचे लाइए, ध्यान रखिये के आपके हाथ आपस में पास होने चाहिए. और आपके निचले शरीर के तरफ हाथो का मुख होना चाहिए. यह व्यायाम एक दिन में १२ बार और ३ सेट में करे. आप रात में ब्रा का उपयोग टाल सकती है.
अपने स्तनों की प्रतिदिन या हर रात ओलिव आयल से मालिश कीजिये,
फल और सब्जियां – इनमें अस्ट्रोजन अधिक पाया जाता है. खजूर, चेरी, सेब और आलूबुखारा प्रतिदिन खाने के साथ खाना चाहिए.
मेथी- यह स्तन वृद्धि के लिए सिद्ध तथा उत्तम जड़ी है. इसलिए ऐसा भोजन करने की कोशिश कीजिये जिसमे मेथी का घटक हो. मेथी की पत्तियां दूध में भी वृद्धि करती हैं.
सोयाबीन- सोया उत्पाद जैसे सोया दूध, सोया मक्खन, सोया कॉफ़ी, सोया ब्रेड आदि में अस्ट्रोजन का स्तर उच्च होता है. स्तन वृद्धि में ये सोया उत्पाद अच्छा परिणाम देंगे.
जवस बीज- ये स्तन वृद्धि में बहुत प्रभावकारी पाए गए हैं. आप बहुत सारे दुसरे बीज भी स्तन वृद्धि में उपयोग कर सकते हैं जैसे पपीते के बीज, सौंफ के बीज, सूरजमुखी के बीज इत्यादि.
मटर और फलियाँ- आप मटर और फलियों से प्राकृतिक अस्ट्रोजन प्राप्त कर सकते हैं. राजमा, लाल राजमा, लिमा बीन्स, छोले और अम्जोद, प्रोटीन भोज्य पदार्थों के साथ खाया जाना चाहिए जो स्तन वृद्धि में मददगार होता है.
जैतून- जैतून और जैतून का तेल स्तन वृद्धि का सर्वोत्तम उपचार हैं. वर्जिन जैतून का तेल और कला जैतून स्तन वृद्धि के लिए सर्वोत्तम हैं. आप स्तन वृद्धि के लिए दूसरे तेल भी उपयोग कर सकते हैं जैसे कच्चे अखरोट का तेल, अलसी का तेल, अवोकेडो तेल और तिल का तेल.
हमेशा धीरज रखिये, स्तनों का आकार धीरे-धीरे बढ़ेगा और यह आपको जल्दी ही पता चल जाएगा. ख़ास तौर पर तब जब आप यौवन आरम्भ से गुज़र रहे हों, स्तनों के आकार वृद्धि में कुछ समय लगेगा.
बार बार स्तनों की मालिश कीजिये, इससे स्तनों का आकार बढ़ता है और स्तन आकर्षक बनते हैं.
सॉफ्ट ड्रिंक, चाय, कॉफ़ी, शराब आदि का उपभोग टालिए, इससे स्तन वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
जंक फ़ूड मत खाइए. यह स्तन वृद्धि पर असर डालता है.
बहुत सारा पानी पीजिये और नियमित रूप से कसरत कीजिये.


जब आप उदास हो ::
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हमारे जीवन में अक्सर ऐसे मौके आते हैं जब हम बहुत निराश और उदास (Sad) हो जाते हैं। ऐसे मौके पर हमें खुद को अपने परिवेश की अच्छी चीजों की याद (Remember) दिलानी पड़ती है। ऐसा करने से नकारात्मक (Negative) चीजें अपने आप कहि गुम हो जाती हैं। 
उदासी और निराशा हो तो इन याद रखें ये 10 बातें-
1. वक्त सारे घाव भर देता है। हर चीज को वक्त (Time) दिजिये|
2. मौके हर जगह हैं उन्हे ढूंढो (Search)|
3. दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं है जो आपकी मदद कर सकते हैं और आपको प्रेरित कर सकते हैं। बस कौन अच्छा है यह हमें देखना है|
4. अगर आपको अपने बारे में कुछ पसंद नहीं है तो उसे आप कभी भी बदल सकते हैं।
5. कुछ भी उतना बुरा (Bad) नहीं है जितना कि दिखता है, इसलिए बूरा सोचना बंद करो।
6. जीवन सुलझा होता है इसे उलझाएं नहीं, हर कम को एक एक करके करो ।
7. असफलताएं और गलतियां (Mistakes) आशीर्वाद और वरदान हैं, यह जितने कं मिले उतना अच्छा है।
8. जाने दो यारों वाला ऐटिट्यूड (Attitude) अपनाएं, आप हमेशा खुश रहेंगे।
9. ये पूरी सृष्टि हमेशा आपके पक्ष में (Favour) काम करती है न की विरोध में ऐसा सोचोगे तभी आगे बदोगे।
10. हर अगला दिन आपके लिए नयी उमीदों का भण्डार लेकर आता है, और फिर से डटकर हिम्मत और मेहनत से आपने कम को करने में लग जाओ|

सर्वाईकल स्पौण्डिलाइटिस का घरेलु सरल उपचार;;
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गर्दन में स्थित रीढ़ की हड्डियों में लंबे समय तक कड़ापन रहने, उनके जोड़ों में घिसावट होने या उनकी नसों के दबने के कारण बेहद तकलीफ होती है। इस बीमारी को सर्वाईकल स्पौण्डिलाइटिस कहा जाता है। दूसरे नाम सर्वाइकल ऑस्टियोआर्थराइटिस, नेक आर्थराइटिस और क्रॉनिक नेक पेन के नाम से जाना जाता है। इसमें गर्दन एवं कंधों में दर्द तथा जकड़न के साथ-साथ सिर में पीड़ा तथा तनाव बना रहता है।
आधुनिक चिकित्सा में सर्वाइकल स्पौण्डिलाइटिस का इलाज फिजियोथेरेपी तथा दर्द निवारक गोलियां हैं। इनसे तात्कालिक आराम तो मिल जाता है, किंतु यह केवल अस्थायी उपचार है। योग ही इस समस्या का स्थाई समाधान है, क्योंकि यह इस बीमारी को जड़ से ठीक कर देता है। लेकिन जब रोगी को चलने-फिरने में दिक्कत आने लगे तो दवाएं, फिजियोथेरेपी तथा आराम ही करना चाहिए। ऐसी स्थिति में यौगिक क्रियाओं का अभ्यास नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह स्थिति रोग की गंभीर स्थिति होती है। आराम आते ही इससे पूरी तरह मुक्ति के लिए किसी कुशल मार्गदर्शक की निगरानी में यौगिक क्रियाओं का अभ्यास प्रारम्भ कर देना चाहिए।
अगर किसी कारण से आप कोई व्यायाम या योग वगैरह नहीं कर सकते तो पहले आप नीचे लिखे हुए घरेलु नुस्खे इस्तेमाल कीजिये, और कुछ दिनों में जैसे जैसे आराम आता जाए तो ये व्यायाम और योगासन शुरू करने चाहिए।
सर्वाइकल स्पॉन्डलाइटिस के लक्षण
कई बार गर्दन का दर्द हल्के से लेकर ज्यादा हो सकता है। ऐसा अक्सर ऊपर या नीचे अधिक बार देखने के कारण या गाड़ी चलाने, किताबें पढ़ने के कारण यह दर्द हो सकता है।
रीढ़ की हड्डी में कोई चोट आने पर या अकस्मात् कोई वजन आ जाने पर इसका बढ़ा हुआ भयंकर रूप भी देखने को मिलता हैं।
गर्दन में दर्द और गर्दन में कड़ापन स्थिति को गम्भीर करने वाले मुख्य लक्षण है।
सिर का दर्द, मुख्य रूप से पीछे का दर्द इसका लक्षण है।
गर्दन को हिलाने पर प्राय:गर्दन में पिसने जैसी आवाज़ का आना।
हाथ, भुजा और उंगलियों में कमजोरियां या सुन्नता।
व्यक्ति को हाथ और पैरों में कमजोरी के कारण चलने में समस्या होना और अपना संतुलन खो देना।
गर्दन और कंधों पर अकड़न या अंगसंकोच होना।
रात में या खड़े होने के बाद या बैठने के बाद, खांसते, छींकते या हंसते समय और कुछ दूर चलने के बाद या जब आप गर्दन को पीछे की तरफ मोड़ते हैं तो दर्द में वृद्धि हो जाना।
सूक्ष्म व्यायाम रामबाण
1. सीधा बैठकर चेहरे को धीरे-धीरे दाएं कंधे की ओर ले जाएं। इसके बाद चेहरे को धीरे-धीरे सामने की ओर लाकर बाएं कंधे की ओर ले जाएं। इस क्रिया को प्रारम्भ में 5-7 बार करें। धीरे-धीरे बढ़ाकर इसे 15-20 बार तक करें। अब सिर को पीछे की ओर झुकाएं। सिर को आगे की ओर झुकाना इस रोग में वजिर्त है। इसके पश्चात सिर को दाएं-बाएं कंधे की ओर झुकाएं। यह क्रिया भी धीरे-धीरे 15 से 20 बार तक करें।
2. सीधा बैठकर या खड़े होकर दोनों हाथों की हथेलियों को आपस में गूंथें। इसके बाद हथेलियों को सिर के पीछे मेडुला पर रखें। अब हथेलियों से सिर को तथा सिर से हथेलियों को एक-दूसरे की विपरीत दिशा में पूरे जोर से इस प्रकार दबाएं कि सिर थोड़ा भी आगे या पीछे न झुकने पाए। इसके पश्चात् हथेलियों को माथे पर रखकर इसी प्रकार का विपरीत दबाव दीजिए। ये क्रियाएं 8 से 10 बार करें। अब दाईं हथेली को दाएं गाल पर रखकर एक-दूसरे के विपरीत दबाव डालिए। यही क्रिया बाएं गाल से भी करें। इन्हें भी 8 से 10 बार करें।
3. सीधा खड़ा होकर दोनों हाथों को घड़ी की सुई की दिशा में तथा इसके बाद घड़ी की सुई की विपरीत दिशा में 10 से 15 बार गोल-गोल घुमाएं। इसके पश्चात् दोनों हाथों को कंधे की ऊंचाई तक अगल-बगल उठाकर उन्हें कोहनी से मोड़ लें। इस स्थिति में हाथों को 10 से 15 बार वृत्ताकार घुमाएं। इसके पश्चात् वापस पूर्व स्थिति में आएं।
4. अपने दोनों हाथो को अपने कंधो पर रखे, अब दोनों कोहनियो को घडी की दिशा में घूमते हुए एक गोला बनाये और कोशिश करे दोनों कोहनियाँ आपस में एक दूसरे को छुए, १० बार ऐसा करे और और १० बार घडी की विपरीत दिशा में ऐसा करे।
आसन
एक-दो सप्ताह तक उपरोक्त क्रियाओं का अभ्यास करने के बाद अपने अभ्यास में आसनों को जोड़ देना चाहिए। इसके लिए मत्स्यासन, वज्रासन, मकरासन, धनुरासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन तथा भुजंगासन बहुत उपयोगी हैं। अगर हर्निया की शिकायत हो तो भुजंगासन ना करे।
सूर्य नमस्कार :- सूर्य नमस्कार सर्वाइकल के लिए रामबाण योग मुद्रा हैं। हर रोज़ सुबह नित्य कर्म से निर्व्रत हो कर इसको १० से १५ बार दोहराये।
प्राणायाम
रोग की गंभीर स्थिति में झटके वाले किसी भी प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए। इस रोग में नाड़ियों को शांत तथा स्थिर करने के लिए नाड़ीशोधन अनुलोम विलोम, उज्जायी एवं भ्रामरी प्राणायाम बहुत लाभकारी है।anulom vilom 1
अनुलोम विलोम में एक नाक से श्वांस लेना हैं, और दूसरे से निकलना हैं, फिर दूसरे से ही श्वांस लेना हैं, और पहले से छोड़ना हैं, अब पहले से श्वांस लेना हैं, और यही प्रक्रिया दोहरानी हैं।
उज्जायी प्राणायाम में सीधे बैठ कर अपने कंठ को संकुचित कर के पुरे ज़ोर से श्वांस ऊपर खींचना होता हैं। और फिर धीरे धीरे छोड़ते रहे, ऐसा 10 से 15 बार करे।
भ्रामरी :- भ्रामरी में सीधे बैठ कर, अपने दोनों अंगूठो से दोनों कानो को बंद कर ले, ऊपर की दोनों उंगलियो को माथे पर सीधे रखे, और बाकी तीनो उंगलियो को हलके हाथ से आँखों और नाक के बीच वाले स्थान पर रखे। और फिर पूरा श्वांस भर ले और ओम कहते हुए पूरा श्वांस धीरे धीरे बाहर निकाले।
ध्यान एवं योग निद्रा
रीढ़ की हड्डी की बीमारी में ध्यान और योग निद्रा का अभ्यास बहुत लाभकारी है। इस स्थिति में शरीर को पूरी क्रिया के दौरान बिल्कुल स्थिर रखते हुए अपनी सहज श्वास-प्रश्वास पर मन को एकाग्र करना चाहिए। इसका अभ्यास आरामदायक अवधि तक करें।
इन बातों का भी रखें ध्यान
पीठ के बल बिना तकिया के सोयें। पेट के बल न सोयें। कड़े बिछावन पर सोना चाहिए ताकि रीढ़ की हड्डी ठीक रहे।
वजन नहीं उठाना चाहिए और न ही सिर झुकाकर काम करना चाहिए।
ठण्डे और गर्म पैक से चिकित्सा दर्द में कमी लयेगा। पानी का ठण्डा पैकेट दर्द करने वाले क्षेत्र पर रखें। और फिर पानी का गर्म पैकेट दर्द करने वाले क्षेत्र पर रखें।
आपका डॉक्टर किसी फिज़ियोथेरेपिस्ट के पास जाने की सलाह दे सकता है। यह भौतिक उपचार आपके दर्द में कमी लायेगा।
आप किसी मसाज़ चिकित्सक से भी मिला सकते हैं जो एक्यूपंक्चर और कशेरुका को सही करने का जानकार हो। कुछ ही बार इसका प्रयोग आपको आराम पहुंचायेगा।
गर्दन की नसों को मजबूत करने के लिये गर्दन का व्यायाम करें।
अपनी गाड़ी को सड़क पर मिलने वाले गड्ढ़ों पर न चलायें। यह दर्द को बढ़ा देगा।
कम्प्यूटर पर अधिक देर तक न बैठें। और बीच बीच में पैरो के पंजो पर खड़े हो कर दोनों हाथो को आपस में मिला कर ऊपर आकाश की तरह धकेले। कंधो को और गर्दन को थोड़ा हिला ले।
विटामिन बी और कैल्शियम से भरपूर आहार का सेवन करें। बादाम, पिस्ता और अखरोट में विटामिन इ और बी – 1, बी – 6, और बी – 9 के साथ प्रोटीन और मैग्नीशियम पाया जाता हैं, दूध, गाजर, स्ट्रॉबेरी, केला, पत्ता गोभी, प्याज, इनको भी अपने भोजन में स्थान दे।
कुछ अनुभूत योग काफी लाभदायक हैं जिनका चिकित्सक के मार्गदर्शन में प्रयोग किया जाना उचित है।
1. धतूरे के बीज 10 ग्राम + रेवंदचीनी 8 ग्राम + सोंठ 7 ग्राम+ गर्म तवे पर फ़ुलाई हुई सफ़ेद फिटकरी 6 ग्राम + इसी तरह फ़ुलाया हुआ सुहागा 6 ग्राम + बबूल का गोंद6 ग्राम इन सब औषधियों को बारीक पीस लें और धतूरे के पत्तों के रस से गीला करके उड़द के दाने के (125मिलीग्राम यानी एक रत्ती ) बराबर गोलियां बना लें। इस गोली को दिन में केवल एक बार गर्म पानी से दोपहर का भोजन करने के बाद ही लेना चाहिए।
ध्यान रहे खाली पेट दवा हरगिज न लें।
2. वातगजांकुश रस की 1 गोली दिन में दो बार सुबह-शाम दशमूल काढ़े केसाथ दो चम्मच लेना भी लाभकारी होता है।
3. महामाष तेल की तीन-तीन बूंदे दोनो कानों व नाक में सुबह-शाम डालना भी लाभकारी होता है
4. आभादि गुग्गुल की एक एक गोली महारास्नादि काढ़े के साथ दस से पंद्रह मिली की मात्रा में खाली पेट लेना भी लाभदायक होता है। ये तो कुछ अनुभूत योग हैं इसके अलावा पंचकर्म चिकित्सा भी सरवाईकल स्पोंडीलाईटीस के रोगियों में काफी कारगर होती है।
घरेलु नुस्खे।
चूना : – चूना जो पान में खाते हैं, अगर आपको पत्थरी की समस्या नहीं है तो चूना एक बहुत बढ़िया औषिधि हैं सर्वाइकल के लिए, गेंहू के दाने सामान चूना पानी में, जूस में, या दही में मिला कर खाए।
विजयसार का चूर्ण :- विजयसार का चूर्ण एक बहुत बढ़िया औषिधि हैं, किसी भी प्रकार के हड्डियों के सम्बंधित रोग के लिए। 1 चम्मच विजयसार का चूर्ण शाम को एक गिलास पानी में भिगो कर रख दे, इसको सुबह 15 घंटे के बाद कपडे से छान कर अच्छी तरह निचोड़ कर घूँट घूँट कर पिए। कैसा भी कोई दर्द हैं, 1 महीने से 3 महीने के अंदर सही होगा, इसके साथ में इस से आप को अगर मधुमेह रोग भी हैं तो उसके लिए भी ये रामबाण हैं।
4 लहसुन 1 गिलास दूध में उबाले, सोते समय पीजिये।
रात को सोते समय दोनों नाक में 5-5 बूंदे गाय के घी की डाले।
उपरोक्त विधियां और नुस्खे अपनाने से कैसा भी सर्वाइकल हो 1 से 3 महीने में बहुत आराम आएगा।
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स्त्री यौन रोग (श्वेत प्रदर) के लिए औषधि ::
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महिलाओ की योनि से सफ़ेद रंग का तरल पदार्थ निकलना "श्वेतप्रदर" कहलाता है ॥ यह कभी भी निकलता रहता है जोकि काफी दुर्गंध पूर्ण होता है ,,इसकी वजह से शरीर मे दर्द रहता है ॥ और शरीर दुर्बल भी होता जाता है ॥ इस रोग को खत्म करने के लिए निम्न औषधि का सेवन करना चाहिए ॥
१) एक ज्यादा पका केला पूरे एक चम्मच देशी घी के साथ खाएं। १५ दिन में फ़र्क नजर आएगा। एक महीना प्रयोग करें।
२)आंवला बीज का पावडर बनालें एक चम्मच पावडर शहद और सौंफ के साथ प्रातःकाल लें।
३)गिलोय+ सतावर को मिलाकर पाउडर बना ले फिर उसका काढ़ा बनाए और रोज सुबह -शाम 1/2 कप ले ,,लाभ होगा ॥
४)पाँव भर दूध में इतना ही पानी तथा एक चम्मच सुखा अदरक डालकर उबालें जब आधा रह जाय तो इसमें एक चम्मच शहद घोलकर पीयें बहुत गुणकारी है।
५)आयुर्वेदिक औषधि अशोकारिष्ट इस रोग में अत्यंत लाभप्रद सिद्ध होती है प्रदरान्तक चूर्ण का भी व्यवहार किया जाता है ।
६)भोजन में दही और लहसुन का प्रचुर प्रयोग लाभकारी होता है बाहरी प्रयोग के लिए लहसुन की एक कली को बारीक कपडे में लपेटकर रात को योनी के अंदर रखें , यह कीटाणु नाशक है ,इसी प्रकार दही को योनी के भीतर बाहर लगाने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है।
७ ) १० ग्राम मेथी बीज पाव भर पानी में उबालें आधा रह जाने पर गरम गरम दिन में २ बार पीना लाभकारी है।
८) छाछ ३-४ गिलास रोज पीना चाहिए इससे योनी में बेक्टीरिया और फंगस का सही संतुलन बना रहता है
९) गुप्त अंग को निम्बू मिले पानी से धोना भी एक अच्छा उपाय है फिटकरी का पावडर पानी में पेस्ट बनाकर योनी पर लगाने से खुजली और रक्तिमा में फायदा होता है। फ़िटकरी श्रेष्ठ जीवाणुनाशक है और सरलता से मिल जाती है। यौनि की भली प्रकार साफ़ सफ़ाई रखना बेहद जरूरी है। फ़िटकरी के जल से यौनि धोना अच्छा उपाय है।
१०)मांस मछली,मसालेदार पदार्थों का परहेज करें॥
११) भोजन में हरे पत्तेदार सब्जीयाँ और फल अधिक से अधिक शामिल करें।
१२) माजूफ़ल चूर्ण ५० ग्राम तथा टंकण क्षार २५ ग्राम लेकर भली प्रकार मिलाकर इसकी ५० पुडी बनालें सुबह -शाम एक पुडी शहद के साथ चाटने से श्वेत प्रदर रोग नष्ट हो जाता है।
१३) अशोकारिष्ट दवा ४-४ चम्मच बराबर पानी मिलाकर खाने के बाद दोनों समय लेना हितकारी उपाय है।
१४) सुपारी पाक एक चम्मच सुबह -शाम दूध के साथ लेने से श्वेत प्रदर रोग नष्ट होता है।
१५) गोंद को देसी घी में तलकर फ़िर शकर की चाशनी में डालकर खाने से श्वेत प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
१६) शिलाजीत में असंख्य सूक्ष्म पोषक तत्व होते है। नियमित एक माह तक दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
१७) सिंघाडे के आटे का हलुवा श्वेत प्रदर में लाभकारी होता है।
१८) श्वेत प्रदर रोग निवारण में होम्योपैथिक दवाएं अति उपयोगी हैं। । रोग के लक्षण के मुताबिक औषधि का निर्वाचन किया जाता है। । ७-८ दवाएं एक साथ मिलाकर प्रयोग करने से भी बेहतर परिणाम की आशा की जा सकती है। निम्न औषधियां ल्युकोरिया में उपयोगी साबित हुई हैं- पल्सेटिला, कल्केरिया, हिपर सल्फ, कैलीक्यूर, बोविस्टा, बोरेक्स, ‍सिपिया, सेबाईना, क्रियोजोट, कार्बो एनिमेलिस, नेट्रम क्यूर, एल्यूमिना, हाईड्रैस्टिस, सल्फर, वाईवर्नम आपुलस इत्यादि। एक माह या कुछ अधिक समय तक ईलाज लेना हितकारी होता है॥
१९)त्रिबंग भष्म 1-1 रत्ती सुबह शाम पानी के साथ लेने पर श्वेत प्रदर मे लाभ होता है ॥ त्रिबंग भष्म आप को रामदेव जी की दुकानों मे मिल जाएगी ॥
20) बड़ के पत्तों का दूध ,,मिश्री के साथ ले फिर ऊपर से गाय का दूध पीने से लाभ होता है ॥
21) 4 सूखे सिंघाड़े रात को पनि मे भिगो दे ॥ सुबह उन्हे पीसकर उसमे मिश्री मिलाये और गाय के दूध के साथ खाली पेट सेवन करे,
22) तुलसी के रस मे शहद मिलाकर सुबह -शाम लेने से लाभ होता है ॥
23)सूखा आवला+ मुलहठी समान मात्रा मे लेकर चूर्ण बनाये और सुबह -शाम शहद के साथ चाटे और ऊपर से गाय का दूध लेने से लाभ होता है ॥

Sunday, 1 November 2015

नीम के फायदे :: नीम नारायण---
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नीम में इतने गुण हैं कि ये कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है। यहाँ तक कि इसको भारत में ‘गांव का दवाखाना’ कहा जाता है। यह अपने औषधीय गुणों की वजह से आयुर्वेदिक मेडिसिन में पिछले चार हजार सालों से भी ज्यादा समय से इस्तेमाल हो रहा है। नीम को संस्कृत में ‘अरिष्ट’ भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है, ‘श्रेष्ठ, पूर्ण और कभी खराब न होने वाला।’
1.नीम की लकड़ी को पानी में घिसकर एक इंच मोटा लेप फोड़े पर लगायें।
इससे फोड़ा समाप्त हो जाता है।
2. नकसीर (नाक में से खून का आना) :नीम की पत्तियों और अजवायन को बराबरमात्रा में पीसकर कनपटियों पर लेप करने से नकसीर का चलना बन्द हो जाता है।
3. बालों का असमय में सफेद होना (पालित्य रोग) : नीम के बीजों के तेल को 2-2 बूंद नाक से लेने से और केवल गाय के दूध का सेवन करने से पालित्य रोग में लाभ होता है।
. नीम के तेल को सूंघने से बाल काले हो जाते हैं। नीम के बीजों को भांगरा और विजयसार के रस की कई भावनाएं देकर बीजों का तेल निकाल लें, फिर इसकी 2-2 बूंदों को नाक से लेने से तथा आहार में केवल दूध और भात खाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
4. बुखार या मलेरिया होने पर नीम का काढ़ा दिया जा सकता है। इस काढ़े को बनाने के लिए एक गिलास पानी में नीम के पत्ते, निम्बोली, काली मिर्च, तुलसी, सोंठ, चिरायता बराबर मात्रा में डालकर उबालें। इस मिश्रण को इतनी देर उबालें जिससे कि आधा पानी वाष्प बनकर उड़ जाए। बाद में इस मिश्रण को छानकर रोगी को दिन में तीन बार एक−दो चम्मच पिलाएं। नीम के पत्तों और उसकी अंतर छाल का चूर्ण भी विषम ज्वर में फायदा पहुंचाता है। मलेरिया में नीम की पत्तियों को फिटकरी तथा पानी के साथ मिलाकर गोली के रूप में बुखार के एक घंटा पहले तथा एक घंटा बाद में दें। इससे भी मलेरिया ठीक हो जाता है।
5.बालों की रूसी : एक मुट्टी नीम के पत्तों का काढ़ा बनाकर नहाने से 1 घंटे पहले सिर पर मलने से रूसी मिट जाती है।
6. नीम की निबौलियों को सुखाकर अरीठा के साथ मिलाकर बारीक पीसकर रख लें। इसे 2 चम्मच भर एक गिलास गर्म पानी में घोलकर सिर को धो लेने से सिर की जूंएं, लीखें, सिर की दुर्गन्ध खत्म हो जाती है तथा बाल काले और मुलायम होते हैं।
7. नीम के पत्तों को पीसकर पानी में उबालकर ठंड़ा होने दें। इसके बाद इसे छानकर इससे सिर को धो लें और बालों को सही तरह से मालिश करें। बालों के
सूख जाने पर स्वच्छ एरण्ड का तेल और नारियल का तेल बराबर मात्रा में लेकर इसे मिला लें और इससे सिर की अच्छी तरह से मालिश करें। इससे सिर की
रूसी मिट जाएगी।
खसरा : खसरा के मरीज के बिस्तर पर रोजाना नीम की पत्तियां रखने से अन्दर की गर्मी शान्त हो जाती है। नीम के ताजे और मुलायम पत्तों को पानी में
उबालकर छान लें, फिर उसमें साफ कपड़े की पट्टी को भिगोकर खसरे के रोगी
की आंखों पर रखने से आंखों का लाल होना दूर हो जाता है।
रोगी को नीम के पानी से नहलाने से खसरे के रोग में जलन दूर होती है।
8. शरीर के आधे अंग में लकवा (अर्धांगवात) : नीम के तेल की 3 सप्ताह तक मालिश करने से लाभ होता है।
9. गंजापन और बालों की वृद्धि : नीम के पत्ते 10 ग्राम, बेर के पत्ते 10 ग्राम दोनों को अच्छी तरह पीसकर इसका उबटन (लेप) बना लें। इस लेप को गंजे सिर पर मालिश करके 1 से 2 घंटे बाद धोने से बाल उग आते हैं। इसका प्रयोग 1 महीने तक करने से लाभ होता है। नीम का तेल 2-3 महीने रोजाना बालों के
उड़कर बने हुए चकते पर लगाने से बाल उग आते हैं। 100 ग्राम नीम के पत्तों को 1 लीटर पानी में उबालने के बाद बालों को धोकर नीम का तेल लगाएं। इससे बाल उगने लगते हैं। नीम के तेल को सूंघने से गंजेपन का रोग दूर हो जाता
है।
10. बालों को मजबूत बनाना और गिरने से रोकना : नीम के पत्तों को पानी में खूब उबालें। इसके बाद इसे उतारकर ठंड़ा कर लें। इस पानी से सिर को धोते रहने से बाल मजबूत, काले होते हैं और बालों का गिरना या झड़ना बन्द हो जाता है।
11. नीम का तेल रात को सोने से पहले बालों में लगा लें और सुबह नीम वाले साबुन से सिर को धो लें। कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन करने से सिर की जुंए और लीख दूर होती हैं। इसके साथ बाल मजबूत होते हैं। नीम का तेल लगाने से बाल फिर से जम जाते हैं।
12. नीम और बेर के पत्तों को पानी में उबालकर बालों को धोकर बालों को सुखा लें। अब नीम के तेल को बालों की जड़ों में लगाकर मसलने से बालों का गिरना बन्द हो जाता है।
13. सिर के बाल गिरने की शुरूआत ही हुई हो तो इसके लिए आप को नीम और बेर के पत्तों को पानी में उबाल लेना चाहिए। इससे बालों को धोने से बालों का
झड़ना कम हो जाता है। इस तरह बाल काले भी होगें और लंबे भी। इसके प्रयोग से जुएं भी मर जाते हैं। सिर धोते समय इस बात का ध्यान रखें कि यह पानी आंखों में प्रवेश हो। इसके लिए आंखों को बन्द रखें।
14. सिर में खुजली होने पर : नीम के पत्तों का काढ़ा बनाकर सिर को धो लें। सिर को धोने के बाद नीम के तेल को लगाने से सिर की जूएं और लीखों के कारण होने वाली खुजली बन्द हो जाती है। नीम के बीजों को पीसकर लगाने से भी लाभ होता है।
15. कील-मुंहासे : नीम के पत्ते, अनार का छिलका, लोध्र और हरड़ को बराबर लेकर दूध के साथ पीसकर लेप तैयार कर लें। इस लेप को रोजाना मुंह पर लगाने से मुंह और चेहरा निखर उठता है। नीम की छाल के बिना नीम की लकड़ी को पानी के साथ चंदन की तरह घिसकर मुंहासों पर 7 दिनों तक लगातार लगाने से मुंहासे पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं। नीम की जड़ को पानी में घिसकर लगाने से कील-मुंहासे मिट जाते हैं और चेहरा सुंदर बन जाता है।
16 . दॉतों के रोग : नीम की दातुन करने से दांतों के रोगों में लाभ
मिलता है। नीम के फूलों से बने काढ़े से दिन में 3 बार गरारे करें और पतली टहनी को दांतों से चबा-चबाकर सुबह-शाम दातुन करते रहने से दांतों और मसूढ़ों के रोगों से छुटकारा मिलता है।
17. ३ वर्ष लगातार नीम के फूलो का रस ७ दिन पिने से कभी बुखार नहीं आयेगा और आँखों की रौशनी अच्छी रहती है |
18. नीम के तेल से दीपक जला कर उसका बना काजल आँखोंमें डालने से ज्योति बढती है|
19. बवासीर जैसे कष्टकारी रोग के इलाज के लिए नीम तथा कनेर के पत्ते बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को प्रभावित भाग पर लगाने से कष्ट कम होता है। नीम के पत्तों तथा मूंग दाल को मिलाकर पीस कर बिना मसाले डाले तलकर खाने से भी इस रोग में आराम मिलता है।
20. पथरी की समस्या से निपटने के लिए लगभग 150 ग्राम नीम की पत्तियों को 2 लीटर पानी में पीसकर उबालें और पी लें इससे पथरी निकल सकती है। पथरी यदि गुर्दे में है तो नीम के पत्तों की राख की लगभग 2 ग्राम मात्रा प्रतिदिन पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है।
21 . नीम की पत्तियों को सरसों के तेल में जलाने के बाद हल्दी डालकर दुबारा जलाएं बाद में इसे छानकर शहद मिलाकर रख लें। रात को सोते समय इस मिश्रण की एक−दो बूंद लेने से कान का बहना रुकता है। गुनगुने नीम के तेल की दो−तीन बूंदें कान में टपकाने से कान के दर्द में राहत मिलती है।
22..नीम के फूलों को गर्म पानी में मसलकर व छानकर सोते समय पीने से कब्ज दूर होती है। नीम की पत्तियों को सुखाकर शक्कर मिलाकर खाने से दस्त में आराम मिलता है। पेट के कीड़ों को नष्ट करने के लिए नीम के पत्तों के रस में शहद और काली मिर्च मिलाकर दिया जाना चाहिए। पेचिस होने की स्थिति में नीम की भुनी हुई अतर छाल का चूर्ण दही में मिलाकर लेना चाहिए।
23 . जुकाम होने पर नीम की पत्तियां काली मिर्च के साथ पीसकर गोलियां बना लें। गर्म पानी के साथ ये तीन−चार गोलियां खाने से जुकाम ठीक हो जाता है।
24 . नीम के पत्ते, छाल और निम्बोली को बराबर मात्रा में मिलाकर पीसने से बने लेप से त्वचा पर होने वाले फोड़े−फुसियां तथा घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं। इस लेप को दिन में कम से कम तीन बार प्रभावित हिस्से पर लगाना चाहिए।
25 .नीम के पत्तों को दही में पीसकर लगाने से दाद ठीक हो जाते हैं। बेवची एक अन्य त्वचा रोग है जो घुटनों व टखनों के बीच पैर पर होता है। एग्जीमा की तरह इसमें जलन और खुजली होती है। इसमें नीम का रस या नीम की पत्तियों की राख लगाने से राहत मिलती है। रक्त को शुद्ध करने के लिए नीम के फूलों का चूर्ण आधा−आधा चम्मच सुबह शाम लेना चाहिए। दोपहर में लगभग दो चम्मच नीम के पत्तों का रस भी लें।
26. कुष्ठ जैसे कष्टकारी रोगों की चिकित्सा भी नीम द्वारा संभव हैं इसके लिए नीम के सूखे पत्तों तथा हरड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर व पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की एक चम्मच मात्रा सुबह शाम चार−छरू हफ्ते तक लेने से लाभ होता है।
27 . नीम की कोपलों के रस में मिश्री मिलाकर सुबह−शाम पीने से गर्मी में राहत मिलती है। नीम की पत्तियों का तेल हथेलियों और तलवों पर लगाने से उनकी जलन दूर होती है। गर्मी के प्रभाव के कारण अमाशय में विकृति आने पर पानी में नीम का रस मिलाकर पीना चाहिए।
28 . पित्ताशय से आंत में पहुंचने वाले पित्त में रुकावट आने से पीलिया होता है। ऐसे में रोगी को नीम के पत्तों के रस में सोंठ का चूर्ण मिलाकर देना चाहिए। इस दौरान रोगी को मात्र दही चावल ही खाने दें। कई दिनों तक बुखार रहने या भारी भोजन करने से प्लीहा यकृत के बढ़ने की शिकायत हो सकती है। ऐसे में नीम के पत्तों का चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
29 . नीम के तेल को गर्म करके मालिश करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। वे लोग जो गठिया रोग से पीडि़त हैं उनके लिए भी यह लाभदायक होता है।

नोट :

हालांकि नीम के अनेक फायदे हैं परन्तु रूक्ष प्रकृति वाले व्यक्ति तथा वे व्यक्ति जिनकी कामशक्ति निर्बल हो, को नीम के अधिक सेवन से बचना चाहिए क्योंकि यह उनके लिए हानिकारक हो सकता है।

Thursday, 29 October 2015

रीठा के औषधीय उपयोग :
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विभिन्न भाषाओं मे नाम :

संस्कृत अरिष्टक, रक्तबीज, फेनिल। ...हिन्दी रीठा।...अंग्रेजी SOAPNUT TREE
गुजराती अरीठा। ....मराठी रिठा।....पंजाबी रेठा।...तेलगू फेनिलामू, कुकुदुकायालु।
तमिल पत्रान कोट्टाई।....असमी हैथागुटी।....फारसी फुंदुक।
रीठा एक ऐसा पेड़ है जो पूरे भारतवर्ष में मिलता है। रीठा के पेड़ पर गर्मियों में फूल आते हैं, जो कि आकार में बहुत छोटे हैं। इनका रंग हल्‍का हरा होता है। सुखाया गया फल शैंपू, डिटर्जेंट या फिर हाथ धोने वाले साबुन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
कुंकुदुकई साबुन और शैम्पू में इस्तेमाल किया जाता है और बालों के लिए अच्छा होता है।
• सुनार इसे सोने, चाँदी और दूसरी कीमती धातुओं को चमकाने में इस्तेमाल होता है।
• इसे माइग्रेन, एपिलेप्सी और कोरस के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।
• इसके कीड़े मारने के गुण के कारण इसे जुएँ मारने में भी इस्तेमाल किया जाता है।
• इसे इलायची धोने और इनके रंग और फ्लेवर निखारने में भी इस्तेमाल किया जाता है।
• इसे मिलावटी तेल को साफ करने में के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
आधे सिर का दर्द : 
--• रीठे के फल को 1-2 कालीमिर्च के साथ घिसकर नाक में 4-5 बूंद टपकाने से आधे सिर का दर्द जल्द ही खत्म हो जाता है। 
--• रात को रीठे की छाल को पानी में डालकर रख दें और सुबह उसको मसलकर कपड़े द्वारा छानकर इसके पानी की 1-1 बूंद नाक में डालने पर आधे सिर का दर्द दूर हो जाता है।
दन्त रोग :
--• रीठे के बीजों को तवे पर भून-पीसकर इसमें बराबर मात्रा में पिसी हुई फिटकरी मिलाकर दांतों पर मालिश करने से दांतों के हर तरह के रोग दूर हो जाते हैं।
मुलायम बालों के लिए :
--• 100 ग्राम कपूर कचरी, 100 ग्राम नागरमोथा और 40-40 ग्राम कपूर तथा रीठे के फल की गिरी, 250 ग्राम शिकाकाई, 200 ग्राम आंवला। सभी को एक साथ लेकर चूर्ण बना लें, फिर इस चूर्ण को लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में पानी मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को बालों पर लगायें। इसके पश्चात बालों को गर्म पानी से खूब साफ कर लें। इससे सिर के अंदर की जूं-लींके मर जाती हैं और बाल मुलायम हो जाते हैं। रीठा, आंवला, शिकाकाई को मिलाने के बाद बाल धोने से बाल सिल्की, चमकदार, रूसी-रहित और घने हो जाते हैं।
बालों की रूसी : 
--• रीठा से बालों को धोने से बाल चमकदार, काले, घने तथा मुलायम होते हैं और बालों की रूसी दूर होती है।
बालों को काला करना : 
--• 250-250 ग्राम रीठा और सूखा आंवला पिसा हुआ और 25-25 ग्राम शिकाकाई की फली, मेंहदी की सूखी पत्तियां तथा नागरमोथा को मिलाकर एक साथ पीस लें। शैम्पू तैयार है। इसका एक बड़ा चम्मच पानी में उबालकर इससे सिर को धोयें। इससे सफेद बालों में कालापन आ जाएगा।
वीर्य वृद्धि :
--• रीठे की गिरी को पीसकर इसमें बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम 1 कप दूध के साथ सेवन करने से वीर्य बढ़ता है।
गले के रोग :
--• 10 ग्राम रीठे के छिलके को पीसकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सुबह और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शाम को पान के साथ या शहद में मिलाकर रोजाना लेने से गले के रोगों में आराम मिलता है।
गले का दर्द : 
--• रीठे के छिलके को पीसकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शहद में मिलाकर सुबह-शाम रोगी को चटाने से गले का दर्द दूर हो जाता है।
अफीम का विष : 
--• पानी में रीठे को इतना उबालें कि भाप आने लगे, फिर इस पानी को आधे कप की मात्रा में रोगी को पिलाने से अफीम का जहर उतर जाता है।
बिच्छू का विष : 
--• रीठे के फल की गिरी को पीसकर उसमें बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर 1-2 ग्राम की गोलियां बना लें। इन गोलियों को 5-5 मिनट के बाद पानी के साथ 15 मिनट में ही 3 गोली लेने से बिच्छू का जहर खत्म हो जाता है।
पायरिया :
--• 250 ग्राम रीठा के छिलके को भूनकर और बारीक पीसकर मंजन बना लें। रोजाना चौथाई चम्मच रीठे की राख में 5 बूंद सरसों का तेल मिलाकर मंजन करें। इससे लगातार 2 महीने तक मंजन करने से पायरिया रोग ठीक हो जाता है।
दस्त :
--• 1 रीठे को आधा लीटर पानी में पकाकर ठंडा करके फिर उस पानी को आधे कप की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम पीने से दस्त आना बंद हो जाता है।
बवासीर (अर्श) : 
--• रीठा के पीसे हुए छिलके को दूध में मिलाकर बेर के बराबर गोलियां बना लें। रोजाना सुबह-शाम 1-1 गोली नमक तथा छाछ के साथ लेने से बवासीर के रोग में आराम आता है।
--• रीठा के छिलके को जलाकर उसके 10 ग्राम भस्म (राख) में 10 ग्राम सफेद कत्था मिलाकर पीस लें। इस आधे से 1 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह पानी के साथ लेने से बवासीर के रोग में आराम आता है। 
. रीठे के फल में से बीज निकालकर फल के शेष भाग को तवे पर भूनकर कोयला बना लें, फिर इसमें इतना ही पपड़िया कत्था मिलाकर अच्छी तरह से पीसकर कपडे़ से छान लें। इसमें से 125 मिलीग्राम औषधि सुबह-शाम मक्खन या मलाई के साथ 7 दिनों तक सेवन करें। नमक और खटाई से परहेज रखें।
मासिक धर्म सम्बंधी परेशानियां :
--• रीठे का छिलका निकालकर उसे धूप में सुखा लें। फिर उसमें रीठा का 2 ग्राम चूर्ण शहद के साथ सेवन करते हैं। यह माहवारी सम्बंधी रोगों की अचूक दवा है।
नजला, जुकाम :
--• 10-10 ग्राम रीठा का छिलका, कश्मीरी पत्ता और धनिया को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को नाक से सूंघने से जुकाम में लाभ होता है।
उपदंश (सिफलिश) :
--• रीठे का छिलका पिसा हुआ पानी में मिलाकर चने के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। 1 गोली दही में लपेटकर सुबह के समय खायें। थोड़ी दही ऊपर से खाने से उपदंश रोग में लाभ मिलता है। परहेज में नमक और गर्म चीजें न खायें।
फोड़ा :
--• 50 ग्राम रीठा की छाल, सड़ा हुआ गोला, नारियल, सड़ी गली सुपारी और 100 मिलीलीटर तिल का तेल और 400 मिलीलीटर पानी के साथ घोलकर और पानी में ही मिलाकर हल्की आग पर पकाने के लिए रख दें। जब पानी जल जाये और केवल तेल बाकी रह जाये तो इसे उतारकर छान लें। इस तेल को लगाने से छाजन, दाद, खुजली, चकते, फोड़े-फुन्सी आदि सारे त्वचा के रोग दूर हो जाते हैं।
कुष्ठ (कोढ़):
--• रीठा को पीसकर कुष्ठ रोगी (कोढ़ के रोगी) के जख्मों पर लेप करने से जख्म जल्दी भर जाते हैं।
गंजापन :
--• अगर सिर में गंज (किसी स्थान से बाल उड़ गये हो) तो रीठे के पत्तों से सिर को धोयें और करंज का तेल, नींबू का रस और कड़वे कैथ के बीजों का तेल मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
फल, छाल और बीज--
मात्रा- काढ़ा 30 से 50 मिली, उलटी के लिए 5 ग्राम चूर्ण। सामान्य मात्रा आधा से 1 ग्राम चूर्ण। 
-- पक्षाघात में-
रीठे का छिलका और काली मिर्च बराबर मात्रा में लेकर पीस लेते हैं और शीशी में भरकर रख लें। यह आवश्यकता पड़ने पर सुंघा दिया करें तो इससे लकवा (पक्षाघात), मानसिक उन्मत्तता, जिसकी सूंघने की शक्ति (घ्राणशक्ति) चली गई हो तथा नींद न आती हो (अनिद्रा) में ये लाभ पहुंचाने वाला सरल प्रयोग है।
-- अधकपारी (आधाशीशी)- 
आधे भाग में तेज सिरदर्द हो, तब रीठे के छिलके और काली मिर्च को पानी में घिसकर नाक में टपकाने से तुरंत लाभी होता है।
--. बेहोशी (मरूच्छा), हिस्टीरिया और मिरगी में- 
रीठे के फल की गिरी को पानी में घिसकर 2 या 36 बूंद नाक में टपका दें। इससे बेहोशी दूर होती है। आंख में भी आंज देते हैं। आंखों की जलन दूर करने के लिए गाय का घी या मक्खन आंख आंजने से शांति मिलती है।
-- प्रसवोपरांत वायु प्रकोप में- 
प्रसव के बाद वायु प्रकोप होने से स्त्रियों का मास्तिष्क शून्य हो जाता है। आंखो के आगे अंधेरा छाने लगता है। दांतों के दोनों जबड़े भिंच जाते हैं। ऐसे परिस्थिति में रीठे को पानी में घिसकर झाग (फेन) पैदा कर आंखों में आंजने से रीठा जादुई असर दिखाता है। तत्काल रोग निवृत्ति होती है।
-- किडनी (गुरदों के) दर्द में- रीठे का छिलका पींस लें तथा अंदर के बीज (गिरी जिसका काला छिलका हटा दें।) महीन पीसकर पानी से पांच गोली बना लें। 1 गोली सेवन कराएं। एक से राहत न मिले तो फिर 1 गोली और सेवन कराएं।
-- फोड़े-फुंसियों पर- रीठ के छिलके को पीसकर लाल शक्कर मिलाएं तथा साबुन मिलाकर पानी के साथ मलहम जैसा बना लें और दिन में दो बार लगाएं। चमत्कारी लाभी होगा।
-- नजला और जुकाम में- रीठे का तेल पुराने जुकाम के लिए अति उत्तम है। इसे बनाने का तरीका इस प्रकार है। रीठे का छिलका 20 ग्राम, नीम के फल (निबोली) की मिंगी 20 ग्राम लेकर आधा लीटर पानी में रातभर भिगोकर रखें। प्रात: काल पीसकर उबालें और आधा पानी शेष रहे, तब 125 मिली, सरसों के तेल में मिलाकर उबालें। जब उतार लें। तेल ठंडा कर शीशी में भरकर रखें। आवश्यकता पड़ने पर 2-3 बूंद इससे लाभ होगा।
-- बालों के रोग में- जूं-लीख मारने के लिए तथा बालों को काले, रेशमी, मुलायम बनाने के लिए उत्तम पाउडर घर में बनाएं।
कपूरकचरी, नागरमोथा 10-10 ग्राम और कपूर तथा रीठे की गिरी 40-40 ग्राम, शिकाकाई 150 ग्राम, 200 ग्राम आंवला सबको पीसकर चूर्ण बना लें। सबको मिलाकर रख लें। जब भी उपयोग करना हो, 50 ग्राम चूर्ण लेकर 400 मि.ली. पानी में 30 मिनट तक भिगोकर रखें। 30 मिनट बाद मसलकर छानकर उस पानी से बालों को धोएं।
-- मासिकधर्म की रुकावट में- रीठे के फलों की गरी को पीसकर उसकी बत्ती बनाकर स्त्री की जननेंद्रिय में रखने से मासिकधर्म की रुकावट दूर होती है। प्रसव के समय भी यह बत्ती रखने पर बिना विलंब के प्रसव हो जाता है।
--. दमा एवं कफजनित खांसी में- 5 ग्राम रीठे के छिलके का चूर्ण 250 मिली. पानी में काढ़ा बनाकर पिलाएं। उल्टी होने पर गरम पानी अधिक मात्रा में पिलाएं, जिससे खुलकर उल्टी हों तथा सारा कफ फेफड़े से निकल जाए, जिससे श्वास, खांसी कफजनित से मुक्ति मिल सके।

चेतावनी: रीठा को आंखों से दूर रखें।


Wednesday, 21 October 2015

अल्‍फा-अल्‍फा ALFALFA ‘पौधों का बाप’ और धरती का वरदान

 अल्‍फा-अल्‍फा ALFALFA ‘पौधों का बाप’ और धरती का वरदान ।
अल्‍फा-अल्‍फा (ALFALFA) धरती का वरदान हैं, आज ढेरो देशी और विदेशी कंपनिया इस पर अनेको अनुसंधान कर चुकी हैं, और इसको सुपर फ़ूड माना गया हैं।

आइये जाने इसके बेहतरीन गुणों बारे में।

अल्‍फा-अल्‍फा विटामिन, मिनरल और अन्‍य पोषक तत्‍वों से भरपूर होता है। यह आपकी हड्डियों को ताकत देने के साथ उनके विकास में भी सहायक होता है। इसके अलावा यह स्‍वस्‍थ शरीर के रख रखाव में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें प्रोटीन और विटामिन ए, विटामिन बी 1, विटामिन बी 6, विटामिन सी, विटामिन ई, और विटामिन के होता है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, पोटेशियम, कैरोटीन, आयरन और जिंक भी होता है। इसका सेवन बीज, पत्ते या गोलियों के रूप में लिया जा सकता है।
किडनी की समस्‍याओं, अर्थराइटिस, यूरीन से जुड़ी समस्‍याओं, कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर, स्‍ट्रोक जैसी कई समस्‍याओं का इलाज करने में इसका इस्‍तेमाल किया जाता है।
अल्‍फा-अल्‍फा को रिजका भी कहते हैं। अल्‍फा-अल्‍फा अरबी शब्‍द है जिसका अर्थ है ‘पौधों का बाप’। अल्‍फा-अल्‍फा की जड़ें जमीन से लगभग बीस से तीस फीट नीचे होती हैं। यहां उन्‍हें वे खनिज लवण मिलते हैं, जो आमतौर पर धरती की सतह पर मौजूद नहीं होते।

अल्फा-अल्‍फा के फायदे

अल्फा-अल्‍फा का इस्‍तेमाल कई स्‍वास्‍थ्‍य स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसे मिनरल का सबसे उच्‍च स्रोत माना जाता है। इसमें मौजूद विटामिन, मिनरल और अन्य पोषक तत्व कई इसे गुणकारी बनाते हैं। किडनी की समस्‍याओं, अर्थराइटिस, यूरीन से जुड़ी समस्‍याओं, कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर, स्‍ट्रोक जैसी कई समस्‍याओं का इलाज करने में इसका इस्‍तेमाल किया जाता है। आइए इसके फायदों के बारे में जानें।

गठिया के लिए उपचार

हड्डियों के गठन और मजबूत बनाने के लिए मिनरल की आवश्‍यकता होती है। यह आवश्‍यक मिनरल अल्‍फा-अल्‍फा में भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए इसे गठिया के उपचार के लिये बहुत फायदेमंद माना जाता है। अल्‍फा-अल्‍फा (विशेष रूप से इसके बीज से) से बनी चाय गठिया के उपचार में लाभदायक परिणाम देती है।

कैंसर पर कंट्रोल

अल्फा-अल्‍फा – रिजका में मौजूद एक एमीनो अम्ल पैंक्रियाटिक, ल्यूकेमिया और कोलन कैंसर के मुकाबले के लिए अच्छा होता है।

डायबिटीज में अल्‍फा-अल्‍फा का प्रयोग

अल्‍फा-अल्‍फा ब्‍लड शूगर के स्‍तर को कम करने के लिए भी जाना जाता है। इसलिए इसे डायबिटीज को दूर करने का एक प्राकृतिक उपचार माना जाता है। डा‍यबिटीज से पी‍ड़ि‍त व्‍यक्तियों को इसका सेवन करना चाहिए।

किडनी की पथरी के लिए उपाय

किडनी से पथरी को दूर करने के लिए भी अल्‍फा-अल्‍फा का उपयोग किया जा सकता है। किडनी की पथरी को गलाकर निकालने में विटामिन ए, सी, ई और जिंक मददगार साबित होते है। इन सब विटामिन और मिनरल को आप अल्फा-अल्‍फा पाउडर और अल्फा-अल्‍फा स्प्राउट में पा सकते हैं।

गंजेपन और बालों के झड़ने का प्राकृतिक उपचार

अल्‍फा-अल्‍फा का रस और बराबर मात्रा में ही गाजर और सलाद (Lettuce) के पत्तों को मिलाकर नियमित रूप से बालों में लगाइए। इससे आपके बालों के विकास में मदद मिलती है। पोषक तत्‍वों से समृद्ध यह रस बालों के विकास और बालों के झड़ने की रोकथाम के लिए विशेष रूप से उपयोगी होता है।

मासिक धर्म से जुड़ी परेशानियों में लाभकारी

अल्‍फा-अल्‍फा का इस्‍तेमाल महिलाओं के लिए भी बहुत उपयोगी होता है। अल्‍फा-अल्‍फा में मौजूद एस्ट्रोजेनिक गुण के कारण यह महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान होने वाले लक्षणों और दर्द को कम करने का बहुत ही प्रभावी उपाय है।

श्वास संबंधी रोगों को इलाज

अल्‍फा-अल्‍फा का जूस क्‍लोरोफिल का बहुत अच्‍छा स्रोत है इसलिए यह सांस से जुड़ी परेशानियों के उपचार में भी कारगर होता है। सांस की तकलीफ विशेष रूप से फेफड़ो और साइनस के कारण होने वाली समस्‍याओं के समाधान के लिए इसके जूस का इस्‍तेमाल किया जाता है।

उच्‍च रक्तचाप में अल्‍फा-अल्‍फा

उच्च रक्तचाप का उपचार, अल्‍फा-अल्‍फा के स्‍वास्‍थ्‍य लाभों में से एक और लाभ है। इसके सेवन से कठोर धमनियों को नर्म करने में मदद मिलती है जिससे उच्‍च रक्तचाप को प्राकृतिक रूप से कम किया जा सकता है।

पेट के रोगों की औषधि

अल्‍फा-अल्‍फा का उपयोग पेट से संबधित बीमारियों के इलाज के लिए एक औषधि के रूप में किया जाता है। नियमित रूप से थोड़ी मात्रा में अल्‍फा-अल्‍फा के बीज का सेवन करने से भी पेट की बीमारियों से लड़ने के खिलाफ इम्युनिटी मजबूत होती है। आप अल्‍फा-अल्‍फा का इस्‍तेमाल चाय के रूप में भी कर सकते हैं।

मोटापा कम करें

अगर आप अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो अल्‍फा-अल्‍फा स्‍प्राउट्स आपके लिए स्वस्थ और स्वादिष्ट विकल्‍प हो सकता है। अल्‍फा-अल्‍फा स्‍प्राउट्स एक आदर्श कम कैलोरी आहार है। जो चीनी, वसा, संतृप्त वसा या कोलेस्ट्रॉल से मुक्त होता हैं। यह कुरकुरा खाद्य फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होता है इसलिए इसको खाने के बाद आपको परिपूर्णता का एहसास लंबे समय तक होता है।

सफ़ेद दाग का इलाज

रिजका (Alfalfa) सौ ग्राम, रिजका सौ ग्राम ककडी का रस मिलाकर पियें सफ़ेद दाग में बहुत आराम मिलता हैं।


विटामिन-ई के फायदे::
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शरीर को स्वस्थ बनाएं रखने के लिए विटामिन ई काफी लाभदायक होता है। सही मात्रा में इसके सेवन से शरीर कई प्रकार की बीमारियां से बचा रहता है और त्वचा पर भी निखार बना रहता है। इसे प्राप्त करना भी बहुत मुश्किल नहीं है। विटामिन ई वनस्‍पति तेल, गेंहू, हरे साग, चना, जौ, शकरकंद, खजूर, चावल के मांढ, क्रीम, बटर, स्‍प्राउट, कड लीवर ऑयल, आम, पपीता, कद्दू, पॉपकार्न और फ्रूट में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा यह मछली में भी अधिक होता है।
कई फलों, तेलों और ड्राय फ्रूट्स में विटामिन-ई पाया जाता है, और यह सेहत के साथ-साथ सौंदर्य के लिए भी बेहद लाभदायक होता है।
खासतौर पर सोयाबीन, जैतून, तिल के तेल, सूरजमुखी, पालक, ऐलोवेरा, शतावरी, ऐवोकेडो के अलावा कई चीजों में वि‍टामिन-ई की मात्रा मौजूद होती है।
आपको प्रतिदिन कितने विटामिन ई की आवश्यकता है, यह आपकी उम्र और लिंग पर निर्भर करता है। किस उम्र में कितना विटामिन ई चाहिए, जानिए-
6 महीने के शिशु को 4 मिलिग्राम प्रतिदिन (नवजात शिशु)
7 से 12 महीने के शिशु को 5 मिलिग्राम प्रतिदिन (नवजात शिशु)
1 से लेकर 3 साल के बच्चे को 6 मिलिग्राम प्रतिदिन
4 से लेकर 8 साल के बच्चे को 7 मिलिग्राम प्रतिदिन
9 से लेकर 13 साल के बच्चे को 11 मिलिग्राम प्रतिदिन
14 साल और उससे बडे मनुष्यों को 15 मिलिग्राम प्रतिदिन
स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 17 मिलिग्राम प्रतिदिन
विटामिन 'ई' की कमी से नुकसान
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विटामिन ई की कमी से वीर्य निर्बल हो जाना, नपुंसकता, बांझपन, आंतों में घाव, गंजापन, गठिया, पीलिया, मधुमेह तथा लिमर व हार्ट प्रोबलम्स हो सकती हैं। इसके अलावा विटामिन ई की कमी से शरीर के अंगों का सुचारू रूप से कार्य न कर पाना, मांसपेशियों में अचानक से कमजोरी आ जाना तथा नजर कमजोर हो जाना व दिखने में झिलमिलाहट महसूस होना, जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

आइए जानते हैं, विटामिन-ई के ऐसे ही कुछ लाभ - ```````````````````````````````````````````````````

1 बेहतरीन क्लिंजर - विटामिन-ई का उपयोग कई तरह के सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है। इसका अहम कारण है, कि यह एक बेहतरीन क्लिंजर है, जो त्वचा की सभी परतों पर जमी गंदगी और मृत कोशिकाओं की सफाई करने में सहायक है।


2 आरबीसी निर्माण- शरीर में रेड ब्‍लड सेल्‍स यानि लाल रक्‍त कोशिकाओं का निर्माण करने में विटामिन-ई सहायक है। प्रेग्‍नेंसी के दौरान विटामिन- ई का सेवन बच्‍चे को एनीमिया यानि खून की कमी से बचाता है।
3 मानसिक रोग - एक शोध के अनुसार विटामिन-ई की कमी से मानसिक रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। शरीर में विटामिन-ई की पर्याप्‍त मात्रा मानसिक तनाव और अन्य समस्‍याओं को कम करने में मदद करती है।
4 एंटी एजिंग - विटामिन-ई में भरपूर एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो त्वचा पर बढ़ती उम्र के असर को कम करते हैं। इसके अलावा यह झुर्रियों को भी कम करने और रोकने में बेहद प्रभावकारी है।
5 हृदय रोग - शोध के अनुसार जिन लोगों के शरीर में विटामिन ई की मात्रा अधिक होती है, उन्हें दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है। यह मेनोपॉज के बाद महिलाओं में होन वाले हार्ट स्ट्रोक की संभावना को भी कम करता है।
6 प्राकृतिक नमी - त्वचा को प्राकृतिक नमी प्रदान करने के लिए विटामिन-ई बेहद फायदेमंद है। इसके अलावा यह त्वचा में कोशिकाओं के नवनिर्माण में भी सहायक है।
7 यूवी किरणों से बचाव - सूरज की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने में विटामिन-ई महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सनबर्न की समस्या या फोटोसेंसेटिव होने जैसी समस्याओं से विटामिन-ई रक्षा करता है।
8 विटामिन-ई का प्रयोग करने पर अल्जाइमर जैसी समस्याओं का खतरा कम होता है, इसके अलावा यह कैंसर से लड़ने में भी आपकी मदद करता है। एक शोध के अनुसार जिन लोगों को कैंसर होता है, उनके शरीर में विटामिन-ई की मात्रा कम होती है।
9 विटामिन ई की पर्याप्त मात्रा डायबिटीज के खतरे को कम करने में मदद करती है। यह ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम, इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ एलर्जी से बचाव में भी उपयोगी होता है।
10 यह कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम करता है और शरीर में वसीय अम्लों के संतुलन को बनाए रखने में सहायता करता है। इसके साथ ही यह थायराइड और पिट्यूटरी ग्रंथि‍ के कार्य में होने वाले अवरोध को रोकता है।