Sunday 1 November 2015

नीम के फायदे :: नीम नारायण---
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नीम में इतने गुण हैं कि ये कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है। यहाँ तक कि इसको भारत में ‘गांव का दवाखाना’ कहा जाता है। यह अपने औषधीय गुणों की वजह से आयुर्वेदिक मेडिसिन में पिछले चार हजार सालों से भी ज्यादा समय से इस्तेमाल हो रहा है। नीम को संस्कृत में ‘अरिष्ट’ भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है, ‘श्रेष्ठ, पूर्ण और कभी खराब न होने वाला।’
1.नीम की लकड़ी को पानी में घिसकर एक इंच मोटा लेप फोड़े पर लगायें।
इससे फोड़ा समाप्त हो जाता है।
2. नकसीर (नाक में से खून का आना) :नीम की पत्तियों और अजवायन को बराबरमात्रा में पीसकर कनपटियों पर लेप करने से नकसीर का चलना बन्द हो जाता है।
3. बालों का असमय में सफेद होना (पालित्य रोग) : नीम के बीजों के तेल को 2-2 बूंद नाक से लेने से और केवल गाय के दूध का सेवन करने से पालित्य रोग में लाभ होता है।
. नीम के तेल को सूंघने से बाल काले हो जाते हैं। नीम के बीजों को भांगरा और विजयसार के रस की कई भावनाएं देकर बीजों का तेल निकाल लें, फिर इसकी 2-2 बूंदों को नाक से लेने से तथा आहार में केवल दूध और भात खाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
4. बुखार या मलेरिया होने पर नीम का काढ़ा दिया जा सकता है। इस काढ़े को बनाने के लिए एक गिलास पानी में नीम के पत्ते, निम्बोली, काली मिर्च, तुलसी, सोंठ, चिरायता बराबर मात्रा में डालकर उबालें। इस मिश्रण को इतनी देर उबालें जिससे कि आधा पानी वाष्प बनकर उड़ जाए। बाद में इस मिश्रण को छानकर रोगी को दिन में तीन बार एक−दो चम्मच पिलाएं। नीम के पत्तों और उसकी अंतर छाल का चूर्ण भी विषम ज्वर में फायदा पहुंचाता है। मलेरिया में नीम की पत्तियों को फिटकरी तथा पानी के साथ मिलाकर गोली के रूप में बुखार के एक घंटा पहले तथा एक घंटा बाद में दें। इससे भी मलेरिया ठीक हो जाता है।
5.बालों की रूसी : एक मुट्टी नीम के पत्तों का काढ़ा बनाकर नहाने से 1 घंटे पहले सिर पर मलने से रूसी मिट जाती है।
6. नीम की निबौलियों को सुखाकर अरीठा के साथ मिलाकर बारीक पीसकर रख लें। इसे 2 चम्मच भर एक गिलास गर्म पानी में घोलकर सिर को धो लेने से सिर की जूंएं, लीखें, सिर की दुर्गन्ध खत्म हो जाती है तथा बाल काले और मुलायम होते हैं।
7. नीम के पत्तों को पीसकर पानी में उबालकर ठंड़ा होने दें। इसके बाद इसे छानकर इससे सिर को धो लें और बालों को सही तरह से मालिश करें। बालों के
सूख जाने पर स्वच्छ एरण्ड का तेल और नारियल का तेल बराबर मात्रा में लेकर इसे मिला लें और इससे सिर की अच्छी तरह से मालिश करें। इससे सिर की
रूसी मिट जाएगी।
खसरा : खसरा के मरीज के बिस्तर पर रोजाना नीम की पत्तियां रखने से अन्दर की गर्मी शान्त हो जाती है। नीम के ताजे और मुलायम पत्तों को पानी में
उबालकर छान लें, फिर उसमें साफ कपड़े की पट्टी को भिगोकर खसरे के रोगी
की आंखों पर रखने से आंखों का लाल होना दूर हो जाता है।
रोगी को नीम के पानी से नहलाने से खसरे के रोग में जलन दूर होती है।
8. शरीर के आधे अंग में लकवा (अर्धांगवात) : नीम के तेल की 3 सप्ताह तक मालिश करने से लाभ होता है।
9. गंजापन और बालों की वृद्धि : नीम के पत्ते 10 ग्राम, बेर के पत्ते 10 ग्राम दोनों को अच्छी तरह पीसकर इसका उबटन (लेप) बना लें। इस लेप को गंजे सिर पर मालिश करके 1 से 2 घंटे बाद धोने से बाल उग आते हैं। इसका प्रयोग 1 महीने तक करने से लाभ होता है। नीम का तेल 2-3 महीने रोजाना बालों के
उड़कर बने हुए चकते पर लगाने से बाल उग आते हैं। 100 ग्राम नीम के पत्तों को 1 लीटर पानी में उबालने के बाद बालों को धोकर नीम का तेल लगाएं। इससे बाल उगने लगते हैं। नीम के तेल को सूंघने से गंजेपन का रोग दूर हो जाता
है।
10. बालों को मजबूत बनाना और गिरने से रोकना : नीम के पत्तों को पानी में खूब उबालें। इसके बाद इसे उतारकर ठंड़ा कर लें। इस पानी से सिर को धोते रहने से बाल मजबूत, काले होते हैं और बालों का गिरना या झड़ना बन्द हो जाता है।
11. नीम का तेल रात को सोने से पहले बालों में लगा लें और सुबह नीम वाले साबुन से सिर को धो लें। कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन करने से सिर की जुंए और लीख दूर होती हैं। इसके साथ बाल मजबूत होते हैं। नीम का तेल लगाने से बाल फिर से जम जाते हैं।
12. नीम और बेर के पत्तों को पानी में उबालकर बालों को धोकर बालों को सुखा लें। अब नीम के तेल को बालों की जड़ों में लगाकर मसलने से बालों का गिरना बन्द हो जाता है।
13. सिर के बाल गिरने की शुरूआत ही हुई हो तो इसके लिए आप को नीम और बेर के पत्तों को पानी में उबाल लेना चाहिए। इससे बालों को धोने से बालों का
झड़ना कम हो जाता है। इस तरह बाल काले भी होगें और लंबे भी। इसके प्रयोग से जुएं भी मर जाते हैं। सिर धोते समय इस बात का ध्यान रखें कि यह पानी आंखों में प्रवेश हो। इसके लिए आंखों को बन्द रखें।
14. सिर में खुजली होने पर : नीम के पत्तों का काढ़ा बनाकर सिर को धो लें। सिर को धोने के बाद नीम के तेल को लगाने से सिर की जूएं और लीखों के कारण होने वाली खुजली बन्द हो जाती है। नीम के बीजों को पीसकर लगाने से भी लाभ होता है।
15. कील-मुंहासे : नीम के पत्ते, अनार का छिलका, लोध्र और हरड़ को बराबर लेकर दूध के साथ पीसकर लेप तैयार कर लें। इस लेप को रोजाना मुंह पर लगाने से मुंह और चेहरा निखर उठता है। नीम की छाल के बिना नीम की लकड़ी को पानी के साथ चंदन की तरह घिसकर मुंहासों पर 7 दिनों तक लगातार लगाने से मुंहासे पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं। नीम की जड़ को पानी में घिसकर लगाने से कील-मुंहासे मिट जाते हैं और चेहरा सुंदर बन जाता है।
16 . दॉतों के रोग : नीम की दातुन करने से दांतों के रोगों में लाभ
मिलता है। नीम के फूलों से बने काढ़े से दिन में 3 बार गरारे करें और पतली टहनी को दांतों से चबा-चबाकर सुबह-शाम दातुन करते रहने से दांतों और मसूढ़ों के रोगों से छुटकारा मिलता है।
17. ३ वर्ष लगातार नीम के फूलो का रस ७ दिन पिने से कभी बुखार नहीं आयेगा और आँखों की रौशनी अच्छी रहती है |
18. नीम के तेल से दीपक जला कर उसका बना काजल आँखोंमें डालने से ज्योति बढती है|
19. बवासीर जैसे कष्टकारी रोग के इलाज के लिए नीम तथा कनेर के पत्ते बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को प्रभावित भाग पर लगाने से कष्ट कम होता है। नीम के पत्तों तथा मूंग दाल को मिलाकर पीस कर बिना मसाले डाले तलकर खाने से भी इस रोग में आराम मिलता है।
20. पथरी की समस्या से निपटने के लिए लगभग 150 ग्राम नीम की पत्तियों को 2 लीटर पानी में पीसकर उबालें और पी लें इससे पथरी निकल सकती है। पथरी यदि गुर्दे में है तो नीम के पत्तों की राख की लगभग 2 ग्राम मात्रा प्रतिदिन पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है।
21 . नीम की पत्तियों को सरसों के तेल में जलाने के बाद हल्दी डालकर दुबारा जलाएं बाद में इसे छानकर शहद मिलाकर रख लें। रात को सोते समय इस मिश्रण की एक−दो बूंद लेने से कान का बहना रुकता है। गुनगुने नीम के तेल की दो−तीन बूंदें कान में टपकाने से कान के दर्द में राहत मिलती है।
22..नीम के फूलों को गर्म पानी में मसलकर व छानकर सोते समय पीने से कब्ज दूर होती है। नीम की पत्तियों को सुखाकर शक्कर मिलाकर खाने से दस्त में आराम मिलता है। पेट के कीड़ों को नष्ट करने के लिए नीम के पत्तों के रस में शहद और काली मिर्च मिलाकर दिया जाना चाहिए। पेचिस होने की स्थिति में नीम की भुनी हुई अतर छाल का चूर्ण दही में मिलाकर लेना चाहिए।
23 . जुकाम होने पर नीम की पत्तियां काली मिर्च के साथ पीसकर गोलियां बना लें। गर्म पानी के साथ ये तीन−चार गोलियां खाने से जुकाम ठीक हो जाता है।
24 . नीम के पत्ते, छाल और निम्बोली को बराबर मात्रा में मिलाकर पीसने से बने लेप से त्वचा पर होने वाले फोड़े−फुसियां तथा घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं। इस लेप को दिन में कम से कम तीन बार प्रभावित हिस्से पर लगाना चाहिए।
25 .नीम के पत्तों को दही में पीसकर लगाने से दाद ठीक हो जाते हैं। बेवची एक अन्य त्वचा रोग है जो घुटनों व टखनों के बीच पैर पर होता है। एग्जीमा की तरह इसमें जलन और खुजली होती है। इसमें नीम का रस या नीम की पत्तियों की राख लगाने से राहत मिलती है। रक्त को शुद्ध करने के लिए नीम के फूलों का चूर्ण आधा−आधा चम्मच सुबह शाम लेना चाहिए। दोपहर में लगभग दो चम्मच नीम के पत्तों का रस भी लें।
26. कुष्ठ जैसे कष्टकारी रोगों की चिकित्सा भी नीम द्वारा संभव हैं इसके लिए नीम के सूखे पत्तों तथा हरड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर व पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की एक चम्मच मात्रा सुबह शाम चार−छरू हफ्ते तक लेने से लाभ होता है।
27 . नीम की कोपलों के रस में मिश्री मिलाकर सुबह−शाम पीने से गर्मी में राहत मिलती है। नीम की पत्तियों का तेल हथेलियों और तलवों पर लगाने से उनकी जलन दूर होती है। गर्मी के प्रभाव के कारण अमाशय में विकृति आने पर पानी में नीम का रस मिलाकर पीना चाहिए।
28 . पित्ताशय से आंत में पहुंचने वाले पित्त में रुकावट आने से पीलिया होता है। ऐसे में रोगी को नीम के पत्तों के रस में सोंठ का चूर्ण मिलाकर देना चाहिए। इस दौरान रोगी को मात्र दही चावल ही खाने दें। कई दिनों तक बुखार रहने या भारी भोजन करने से प्लीहा यकृत के बढ़ने की शिकायत हो सकती है। ऐसे में नीम के पत्तों का चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
29 . नीम के तेल को गर्म करके मालिश करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। वे लोग जो गठिया रोग से पीडि़त हैं उनके लिए भी यह लाभदायक होता है।

नोट :

हालांकि नीम के अनेक फायदे हैं परन्तु रूक्ष प्रकृति वाले व्यक्ति तथा वे व्यक्ति जिनकी कामशक्ति निर्बल हो, को नीम के अधिक सेवन से बचना चाहिए क्योंकि यह उनके लिए हानिकारक हो सकता है।

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