Sunday 8 November 2015

स्त्री यौन रोग (श्वेत प्रदर) के लिए औषधि ::
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महिलाओ की योनि से सफ़ेद रंग का तरल पदार्थ निकलना "श्वेतप्रदर" कहलाता है ॥ यह कभी भी निकलता रहता है जोकि काफी दुर्गंध पूर्ण होता है ,,इसकी वजह से शरीर मे दर्द रहता है ॥ और शरीर दुर्बल भी होता जाता है ॥ इस रोग को खत्म करने के लिए निम्न औषधि का सेवन करना चाहिए ॥
१) एक ज्यादा पका केला पूरे एक चम्मच देशी घी के साथ खाएं। १५ दिन में फ़र्क नजर आएगा। एक महीना प्रयोग करें।
२)आंवला बीज का पावडर बनालें एक चम्मच पावडर शहद और सौंफ के साथ प्रातःकाल लें।
३)गिलोय+ सतावर को मिलाकर पाउडर बना ले फिर उसका काढ़ा बनाए और रोज सुबह -शाम 1/2 कप ले ,,लाभ होगा ॥
४)पाँव भर दूध में इतना ही पानी तथा एक चम्मच सुखा अदरक डालकर उबालें जब आधा रह जाय तो इसमें एक चम्मच शहद घोलकर पीयें बहुत गुणकारी है।
५)आयुर्वेदिक औषधि अशोकारिष्ट इस रोग में अत्यंत लाभप्रद सिद्ध होती है प्रदरान्तक चूर्ण का भी व्यवहार किया जाता है ।
६)भोजन में दही और लहसुन का प्रचुर प्रयोग लाभकारी होता है बाहरी प्रयोग के लिए लहसुन की एक कली को बारीक कपडे में लपेटकर रात को योनी के अंदर रखें , यह कीटाणु नाशक है ,इसी प्रकार दही को योनी के भीतर बाहर लगाने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है।
७ ) १० ग्राम मेथी बीज पाव भर पानी में उबालें आधा रह जाने पर गरम गरम दिन में २ बार पीना लाभकारी है।
८) छाछ ३-४ गिलास रोज पीना चाहिए इससे योनी में बेक्टीरिया और फंगस का सही संतुलन बना रहता है
९) गुप्त अंग को निम्बू मिले पानी से धोना भी एक अच्छा उपाय है फिटकरी का पावडर पानी में पेस्ट बनाकर योनी पर लगाने से खुजली और रक्तिमा में फायदा होता है। फ़िटकरी श्रेष्ठ जीवाणुनाशक है और सरलता से मिल जाती है। यौनि की भली प्रकार साफ़ सफ़ाई रखना बेहद जरूरी है। फ़िटकरी के जल से यौनि धोना अच्छा उपाय है।
१०)मांस मछली,मसालेदार पदार्थों का परहेज करें॥
११) भोजन में हरे पत्तेदार सब्जीयाँ और फल अधिक से अधिक शामिल करें।
१२) माजूफ़ल चूर्ण ५० ग्राम तथा टंकण क्षार २५ ग्राम लेकर भली प्रकार मिलाकर इसकी ५० पुडी बनालें सुबह -शाम एक पुडी शहद के साथ चाटने से श्वेत प्रदर रोग नष्ट हो जाता है।
१३) अशोकारिष्ट दवा ४-४ चम्मच बराबर पानी मिलाकर खाने के बाद दोनों समय लेना हितकारी उपाय है।
१४) सुपारी पाक एक चम्मच सुबह -शाम दूध के साथ लेने से श्वेत प्रदर रोग नष्ट होता है।
१५) गोंद को देसी घी में तलकर फ़िर शकर की चाशनी में डालकर खाने से श्वेत प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
१६) शिलाजीत में असंख्य सूक्ष्म पोषक तत्व होते है। नियमित एक माह तक दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
१७) सिंघाडे के आटे का हलुवा श्वेत प्रदर में लाभकारी होता है।
१८) श्वेत प्रदर रोग निवारण में होम्योपैथिक दवाएं अति उपयोगी हैं। । रोग के लक्षण के मुताबिक औषधि का निर्वाचन किया जाता है। । ७-८ दवाएं एक साथ मिलाकर प्रयोग करने से भी बेहतर परिणाम की आशा की जा सकती है। निम्न औषधियां ल्युकोरिया में उपयोगी साबित हुई हैं- पल्सेटिला, कल्केरिया, हिपर सल्फ, कैलीक्यूर, बोविस्टा, बोरेक्स, ‍सिपिया, सेबाईना, क्रियोजोट, कार्बो एनिमेलिस, नेट्रम क्यूर, एल्यूमिना, हाईड्रैस्टिस, सल्फर, वाईवर्नम आपुलस इत्यादि। एक माह या कुछ अधिक समय तक ईलाज लेना हितकारी होता है॥
१९)त्रिबंग भष्म 1-1 रत्ती सुबह शाम पानी के साथ लेने पर श्वेत प्रदर मे लाभ होता है ॥ त्रिबंग भष्म आप को रामदेव जी की दुकानों मे मिल जाएगी ॥
20) बड़ के पत्तों का दूध ,,मिश्री के साथ ले फिर ऊपर से गाय का दूध पीने से लाभ होता है ॥
21) 4 सूखे सिंघाड़े रात को पनि मे भिगो दे ॥ सुबह उन्हे पीसकर उसमे मिश्री मिलाये और गाय के दूध के साथ खाली पेट सेवन करे,
22) तुलसी के रस मे शहद मिलाकर सुबह -शाम लेने से लाभ होता है ॥
23)सूखा आवला+ मुलहठी समान मात्रा मे लेकर चूर्ण बनाये और सुबह -शाम शहद के साथ चाटे और ऊपर से गाय का दूध लेने से लाभ होता है ॥

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